जाड़ा लगकर तेज बुखार का होम्योपैथिक दवा

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इस रोग में अकस्मात शरीर में जाड़ा लगकर बहुत तेज ज्वर चढ़ता है। पहले सप्ताह भर ज्वर रहता है और फिर सप्ताह भर के लिए लोप हो जाता है और फिर पुन: ज्वर हो जाता है। ज्वर उतर जाने पर बहुत पसीना आता है और फिर ज्वर चढ़ आता है, इसलिए इसे बार-बार आने वाला ज्वर कहते हैं। जिन लोगों को पेट भर भोजन नहीं मिलता, जो खाने की हरेक चीज से मोहताज रहते हैं, सीलन भरे और बदबूदार स्थानों में रहते हैं, यह रोग प्राय: उन्हें ही ज्यादा हुआ करता है। यह ज्वर एक प्रकार के जीवाणु से उत्पन्न होता है।

इपिकाक 3 – तीव्र ज्वर में कै या मिचली होने पर दें।

रस-टॉक्स 3 – ज्वर के कारण अत्यधिक बेचैनी, रोगी सदैव हिलता-डुलता रहना चाहता है।

ब्रायोनिया 6 – उच्च ताप, सिर में तेज दर्द, हाथ-पैरों तथा पूरे शरीर में दर्द, हिलने-डुलने से दर्द बढ़ता है।

आर्सेनिक 3 – ज्वर, श्वास तेज और क्षीण नाड़ी, ज्यादा सुस्ती और अधिक बेचैनी रहने पर प्रयोग करें।

बैप्टीशिया 1x – पाकाशय की गड़बड़ी में दें।

युपेटोरियम-पर्फ 3 – अधिक ज्वर के कारण बेचैनी, शरीर की हड्डियों में दर्द।

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