Bhujangini Mudra Method and Benefits In Hindi
भुजंगिनी मुद्रा
वक्त्रं किञ्चित्सुप्रसार्य चानिलं गलया पिवेत्।
सा भवेद् भुजङ्गी मुद्रा जरामृत्युविनाशिनी॥
यावच्च उदरे रोगमजीर्णादि विशेषतः।
तत्सर्वनाश्येदाशु यत्र मुद्रा भुजङ्गिनी॥ (घे.सं. 3/92-93)
अर्थ: मुख को फैलाकर, खोलकर गले से वायु का पान करें एवं गले में पवन का धक्का ज़ोर से लगे। इसको भुजंगिनी मुद्रा कहते हैं।
सिद्धासन, पद्मासन, या वज्रासन में बैठकर उपरोक्त विधि को करना चाहिए।
लाभ
- बुढ़ापा और मुत्यु का नाश करती है।
- उदर-रोग सम्बंधी सभी विकारों का नाश होता है।
- अजीर्ण रोग दूर होता है। पाचन-संस्थान मज़बूत होता है।
- कंठ-रोग दूर होता है।
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