Brahma Mudra Method and Benefits In Hindi

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ब्रह्म मुद्रा

आकृति: ब्रह्मा के चार मुख के समान।

विधि

किसी भी ध्यानात्मक आसन (पद्मासन, सुखासन) में बैठे। मेरुदण्ड व धड़ को सीधा कर आँखों को बंद कर लें। हाथ को ज्ञान या चिन मुद्रा में घुटने पर रखें। शांत मनोभाव से इस मुद्रा का अभ्यास करने के लिए सिर सामने स्थिर करें। फिर सिर को धीरे-धीरे दाहिनी ओर घुमाएँ इतना धीरे-धीरे कि वह ढाई मिनट में कंधे की सीध में आ जाए। समय की गणना करने के लिए गिनती या साँसों की संख्या का सहारा लें। लगभग चौथाई मिनट (15 सेकण्ड) स्थिर रहने के बाद सिर को वापस बाईं ओर घुमाना प्रारंभ करें तथा पाँच मिनट में बाएँ कंधे की सीध में पहुँचा दें। लगभग चौथाई मिनट (15 सेकण्ड) स्थिर रहने के बाद सिर को वापस दाहिनी ओर घुमाना प्रारंभ करें तथा ढाई मिनट में प्रारंभिक स्थिति में पहुँचे। लगभग चौथाई मिनट (15 सेकण्ड) स्थिर रहने के बाद सिर को ऊपर की ओर ले जाना प्रारंभ करें। ढाई मिनट तक ऊपर उठाते हुए सिर को अधिकतम पीछे ले जाएँ। लगभग चौथाई मिनट (15 सेकण्ड) स्थिर रहने के बाद सिर को वापस सामने लाते हुए नीचे की ओर पाँच मिनट में लाएँ। चौथाई मिनट (15 सेकण्ड) स्थिर रहने के बाद सिर को वापस प्रारंभिक स्थिति में ढाई मिनट में ले आएँ। चारों दिशाओं में सिर की गति में 21 मिनट व्यतीत होने चाहिए। यह ब्रह्म मुद्रा का एक चक्र माना जाता है। श्वास की गति सामान्य से कम रहेगी।

लाभ

  • बारी-बारी से गले की नसों को तानने व ढीला करने से उनमें शक्ति व लचीलापन आता है।
  • क्रेनियल नर्स जो गर्दन से गुज़रती हैं, की अच्छी मालिश हो जाने से मस्तिष्क से विभिन्न अंगों जैसे आँख, कान, नाक, जिव्हा इत्यादि स्वस्थ होते हैं।
  • टॉन्सिल्स की अनचाही बढ़त, जलन व सूजन समाप्त होती है।
  • मन को शांत, स्थिर व अंतःकेंद्रित करने में सहायक है। जिससे ध्यान के उच्च प्रयोग किए जा सकते हैं।
  • विशुद्धि, आज्ञा व सहस्त्रार चक्र पर प्रभाव डालता है।

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