होम्योपैथी में डेंगू की दवा [ Dengue Ka Homeopathic Medicine ]

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डेंगू ज्वर को ‘हड्डी-तोड़ बुखार‘ भी कहते हैं। इसका भरपूर आक्रमण प्राय: 3 दिनों तक रहता है और इतने थोड़े समय में ही रोगी की देह, हाथ, पैर और समूचे शरीर में तथा माथे में दर्द इतना अधिक होता है कि उसी से रोगी एकदम कातर हो जाता है। रोग का एकाएक आक्रमण, शीत, सिर में बहुत दर्द, पीठ, कमर और मेरुदंड में दर्द, सभी संधियों में दर्द, पेशी में दर्द, पेशी कड़ी हो जाना, पित्त का वमन, जी मिचलाना, भूख न लगना, प्यास, कब्ज, चेहरा लाल हो जाना, किसी-किसी के शरीर पर दाने निकलना, गाल, गला और पुट्ठे की गांठ का फूलना, कड़ा हो जाना, लसिका ग्रंथियों का फूलना, ज्वर का 102 डिग्री से 106 डिग्री तक होना, नाड़ी पूर्ण, कठिन और एक मिनट में 120 से 140 बार तक स्पंदित होना आदि इसके विशेष लक्षण हैं।

हम रोग की गहराई में न जाकर केवल इतना बता देना चाहते हैं कि डेंगू ज्वर 1 से 3 दिनों के बीच में ही घट जाता है और अन्य उपसर्गों में-हरे रंग का पतला दस्त, नाक से रक्त का गिरना, बहुत अधिक पसीना आदि होकर रोगी कभी-कभी बहुत कमजोर हो जाता है। डेंगू ज्वर का भोगकाल जितना भी ज्यादा क्यों न हो, प्राय: 8-9 दिनों से ज्यादा नहीं रहता। रोग के जाने के बाद भी पेशियों में अकड़न और शरीर में दर्द कुछ दिनों तक रहता है। सभी देशों में और सभी ऋतुओं में और सभी अवस्थाओं में लोगों को यह रोग हो सकता है। यह एक प्रकार के मच्छर के काटने से होता है।

शीतावस्था में और जब रोगी को बहुत जाड़ा लगता रहता है, उस समय एक बोतल के भीतर खूब गरम पानी भरकर पैर के तलवे और बगल में दबा रखने पर और गरम पानी या कोई दूसरी गर्म पेय पीने को देने से जाड़ा जल्दी दूर हो जाता है। यदि पसीना बहुत अधिक आता हो, तो गरम पानी में थोड़ा-सा अल्कोहल (Rectified Spirit) मिलाकर बदन पोंछ देने से पसीना आना बंद हो जाता है और शरीर का दर्द भी घट जाता है। प्यास के लगने पर गरम पानी ठंडा कर पीने को देना चाहिए।

पहली अवस्था में – एकोनाइट, रस-टॉक्स या ब्रायोनिया।

वमन होने पर – इपिकाक।

अतिसार में – आर्सेनिक।

शरीर पर उदभेद निकलने पर – रस-टॉक्स, सल्फर।

पाकाशय के लक्षण (गैस्ट्रिक) रहने पर – कोलोसिंथ, नक्सवोमिका आदि।

शरीर के किसी द्वार से रक्तस्राव होने पर – ऐसिड सल्फ, आर्स, सिकेल, चायना।

पेशाब की राह से रक्तस्त्राव होने पर – कैंथर, बेल, आर्स, टेरिबिंथ।

ज्यादा पसीना रोकने के लिए – जैबोरैण्डी या पाइलो-कार्पिन, कैम्फर, कार्बो आदि।

हड्डी टूटने के दर्द में – इयुपेटोरियम पर्फो।

एकोनाइट 1x – रोग की पहली अवस्था में तेज ज्वर (104-105 डिग्री) के लक्षण में।

बेलाडोना 6 – लाल रंग की फुसियां या सिर में दर्द।

ब्रायोनिया 3, 6 – बदन में दर्द, पसीना, सिरदर्द (विशेषकर माथे के पीछे की ओर), बहुत पसीना, कब्जियत।

युपेट-पर्फ 1x – हड्डियों में बहुत दर्द रहने पर।

लैकेसिस 6 या क्रोटेलस 3 – रक्तस्राव होने पर ।

रस-टॉक्स 3 – उदभेदों के साथ ज्यादा सर्दी रहने पर, हाथ-पैरों में ऐंठन या गठिया रहने पर।

जेल्सीमियम 1x – ज्वर रहने पर।

आर्सेनिक 6 – अतिसार हो जाने पर।

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