Garudasana Method and Benefits In Hindi

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गरुड़ासन

शाब्दिक अर्थ: गरुड़ – पक्षियों का राजा, भगवान विष्णु का वाहन है।

विधि

ताड़ासन में खड़े हो जाएँ। दाहिना पैर उठाएँ और बाएँ पैर पर इस प्रकार लपेटें कि दाहिनी जाँघ का पिछला हिस्सा बाईं जाँघ पर और दाहिना पैर बाईं पिंडली को स्पर्श करे। अब हाथों को भी कोहनियों से मोड़कर आपस में लपेट लें व दोनों हथेलियों को आपस में प्रार्थना की मुद्रा में जोड़ लें। वापस मूल स्थिति (ताड़ासन) में आ जाएँ। अब इतने ही समय के लिए पैरों और हाथों को बदलकर करें। यही क्रिया 2 से 5 बार करें।
समय: लगभग 15-20 सेकंड इसी अवस्था में रुकें।
श्वासक्रम: पूर्ण आसन में धीरे-धीरे गहरी श्वास लें।
ध्यान: आज्ञाचक्र पर।।
नोट: आसन का पूर्ण अभ्यास हो जाने पर धीरे-धीरे सामने की तरफ़ झुककर हाथों से ज़मीन को स्पर्श करने की कोशिश करें।

लाभ

  • इस आसन से टखनों का सही विकास होता है।
  • एकाग्रता बढ़ती है। शरीर के संतुलन का अभ्यास बढ़ता है।
  • साइटिका और पिंडलियों की माँसपेशियों की ऐंठन को रोकने के लिए बड़ा ही लाभदायक आसन है।
  • हाथ व पैर लचीले एवं सशक्त बनाता है।
  • जननांग के विकार दूर करता है।

सावधानियाँ: गठिया जैसी बीमारियों वाले रोगी सावधानीपूर्वक अभ्यास करें।

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