एलर्जी का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Allergy ]

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आज के आधुनिक युग में सबसे अधिक स्त्री-पुरुष और बच्चे एलर्जी के शिकार होते हैं। यही एक ऐसा रोग-विकार है, जिसकी उत्पत्ति का किसी चिकित्सक को कुछ पता नहीं चलता है। किसी को किसी फूल से, किसी को गेहूं की रोटी खाने, किसी को फल, दूध, दही, मांस, मछली आदि किसी भी वस्तु से एलर्जी हो सकती है। यही नहीं अनेक लोगों को नए वस्त्र पहनने से भी एलर्जी हो सकती है। जब तक एलर्जी होने का वास्तविक कारण पता नहीं चलता, इस रोग को नष्ट नहीं किया जा सकता।

एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थों को अंग्रेजी में “एलर्जन” कहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हर किसी स्त्री पुरुष व बच्चे को किसी एक या अनेक पदार्थ से एलर्जी हो सकती है। खाने-पीने की वस्तुओं के अतिरिक्त सौंदर्य-प्रसाधन जैसे पाउडर, शेविंग क्रीम, लिपस्टिक, क्रीम और सिंथेटिक वस्त्रों के स्पर्श से भी एलर्जी हो सकती है। कभी-कभी सर्दी-गर्मी के कारण भी एलर्जी हो जाती है।

कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों से एलर्जी होने पर उनका उपयोग बंद कर दें। हांथों पर एलर्जी से त्वचा में विकार हो जाए तो साबुन का उपयोग नहीं करें। सुपाच्य खाद्यों का अधिक उपयोग करें। फलों का रस अधिक गुणकारी रहता है। रोगी को तेल-मिर्च, खट्टे-मीठे और मसालेदार खाद्य पदार्थों से परहेज रखना चाहिए तथा तौलिए व दैनिक उपयोग की वस्तुएं अलग रखनी चाहिए।

कई व्यक्ति ऐसे होते हैं, जिन्हें कोई चीज जो दूसरों के लिए कष्टप्रद नहीं होती, उनके लिए कष्टप्रद हो जाती है। उदाहरण के लिए-सफेद रोटी, अंडा, मछली आदि को खाने से दूसरों को कोई कष्ट नहीं होता, किंतु उससे उनके शरीर में दाने निकल आते हैं, पित्ती उछल पड़ती है, सिरदर्द और श्वास की शिकायत हो जाती है। या कोई अन्य कष्ट हो जाता है।

काफिया 200 — रोगी के शरीर के किसी भी अंग में दर्द की शिकायत हो जाती है। वह उस अंग को स्पर्श नहीं कर सकता। इस औषधि से दर्द शांत हो जाता है। जब इस औषधि से कोई लाभ होता दिखाई न दे, तो कैमोमिला 30 देनी चाहिए।

ऐसेरस युरोप्रम 3, 6 — रोगी को ठंड लगा करती है। वह किसी भी आवाज को सहन नहीं कर पाता है, अति संवेदनशील होता है। तेज आवाज उसे अंदर तक मार सकती है। तब यह दें।

नक्सवोमिको 30 — रोगी को जरा-सी बात पर भी गुस्सा आ जाता है। अपने मार्ग में उसे कोई भी व्यक्ति या वस्तु सहन नहीं होती। उसमें सहनशीलता की भी कमी होती है।

बेलाडोना 3, 30 — रोगी को तनिक-सी भी आवाज, शोर और रोशनी बर्दाश्त नहीं होती।

ट्युबर्म्युलीनम 200 — दूध, दही, दूध से बने अन्य पदार्थ, अंडा, मछली या मांस से एलर्जी हो जाती हो, तो यह औषधि प्रति सप्ताह एक मात्रा देनी चाहिए। दो सप्ताह के बाद सल्फर 200 देनी चाहिए।

सल्फर 200, 1M — जब युबर्म्युलीनम से लाभ न हो, तो इसे सेवन करानी चाहिए। यदि महीने भर में प्रति सप्ताह 200 शक्ति की 1 मात्रा देने से लाभ न हो, तो शक्ति बढ़ाकर 1 M कर देनी चाहिए। मांस खाने से एलर्जी होने पर भी इससे आशातीत लाभ होता है।

सोरिनम 200 — गेहूं से एलर्जी होने पर इसका प्रयोग करना चाहिए।

फ्रगेरिया 30, 200 — कभी-कभी स्ट्राबेरी आदि खाने से एलर्जी हो जाती है, जिसकी वजह से पित्ती उछल आती है। किसी-किसी को श्वास लेने में कठिनाई होती है, उच्च शक्ति से लाभ होता है; एलर्जी की शिकायत दूर हो जाती है। रोगी स्वस्थ हो जाता है।

सैक्केरमे औफिसिनेल 200 — यदि गन्ना चबाने या शक्कर का प्रयोग करने से एलर्जी को जाए, तब इससे लाभ होता है।

अर्टिका युरेन्स (मूल-अर्क) 3 — बहुत से लोगों को दूध से एलर्जी होती है। यदि दूध पीने से पित्ती उछलने लगे, तब इसका प्रयोग करें।

आर्सेनिक एल्बम 30 — जिन लोगों को एलर्जी के कारण जुकाम, नजला, छींक, नाक से गरम-गरम पानी बहना और ठंड आदि लगती हो और नदी या समुद्र के किनारे जाने से एलर्जी हो जाती हो, तो यह औषधि उपयोगी है।

पोयोस (मूल-अर्क) 30, 200 — धूल-मिट्टी के कारण श्वास-सा हो जाए। बहुत-से लोगों को धूल-मिट्टी से बहुत जल्दी एलर्जी हो जाती है। इस औषधि से शीघ्र लाभ हो जाता है।

अर्जेन्टम नाइट्रिकम 30, 200 — त्वचा पर, शरीर की श्लैष्मिक-झिल्ली पर फेफड़ों पर एलर्जी का प्रभाव हो, तो यह औषधि उपयोगी है।

फेरम मेट 30 — यदि अंडों से एलर्जी हो, तो यह औषधि दें।

नैट्रम म्यूर 30 — दूध, शहद, प्याज, गेहूं, मांस, मुर्गी के अंडे और निशास्ते की चीजों के सेवन से एलर्जी हो जाती हो, तो इस औषधि से एलर्जी दूर हो जाती है।

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