गठिया का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Arthritis, Gout ]

2,013

शरीर की छोटी-छोटी संधियों पर रोग का आक्रमण होने पर उसे “गठिया वात कहते हैं। जोड़ों में युरेट ऑफ सोडियम एकत्र होता है और रक्त में यूरिक एसिड मौजूद रहता है। जोड़ों के दर्द दो तरह के होते हैं। एक तो शरीर के छोटे जोड़ों के दर्द हैं, जैसे हाथ की उंगलियों, पांवों की उंगलियों के; दूसरे बड़े जोड़ों के तथा मांसपेशियों के दर्द हैं, जैसे कूल्हे यः पुट्ठों के दर्द। छोटे जोड़ों के दर्द को “गठिया” या “ग्रंथि-वात” कहते हैं। बड़े जोड़ों तथा पुट्ठों के दर्द को “वात-रोग” कहते हैं। यह रोग प्रायः धनी और विलासी लोगों में ही अधिकतर देखा जाता है। गठिया वाले रोगियों के पेट में गड़बड़ी रहा करती है। बदहजमी, शरीर अच्छा न रहना, सिर भारी, ठंड लगना, रात में कष्ट का बढ़ना आदि गठिया वात के पूर्व के लक्षण हैं। सही उपचार न होने पर गठिया का रोग पुराना हो जाता है, तब रोगी को अधिक कष्ट सहना पड़ता है।

नक्सवोमिका 30 — सभी तरह के जोड़ों के दर्द में उपयोगी है।

रस-टॉक्स 30, 200 — यदि बैठी अवस्था से उठते समय पीठ आदि में दर्द महसूस हो, चलने-फिरने में दर्द जाता रहे, रात में दर्द बढ़ जाए, सीलन से भी इसमें वृद्धि हो, तब इसे दें।

कैलमिया (मूल-अर्क) 3 — मांसपेशियों में दुखन और स्त्रियों की उंगलियों के जोड़ों में दर्द हो, संध्याकाल में रोग बढ़ जाता है यानी दर्द की अधिकता होती है, तब इससे लाभ होता है।

कॉलोफाइलम (मूल-अर्क) 6 — इसमें गठिया ऊपर से नीचे आता है। रोगी दर्द से परेशान रहता है, तब इससे लाभ होता है।

फौरमिक एसिड़ 6x — इस औषधि के सेवन से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है। जोड़ों का कड़ापने पहले जाता है, फिर जोड़ों का दर्द और सूजन चली जाती है। शीघ्र लाभ हो जाता है।

कोलचिकम 3 — रोगी के जोड़ लाल, गरम व सूजे हुए होते हैं, अत्यधिक दर्द और पीड़ा होती है। शाम के बाद से ही कुष्ट बहुत बढ़ जाता है। अंगूठे विशेष रूप-से दर्द करते हैं। इस औषधि का मांस-पेशियों तथा जोड़ों पर विशेष प्रभाव है। गठिया का आक्रमण रोकने की इसमें शक्ति है।

अर्टिका यूरेन्स 8 — गठियों का दर्द इसलिए होता है, क्योंकि यूरिक एसिड बाहर निकलने के बजाय जगह-जगह बैठ जाता है। युरेट्स के किडनी में जमा हो जाने की वजह से पथरी-रोग हो जाता है। इस औषधि को देने से युरेट्स मल द्वारा बाहर निकल जाते हैं और गठिया में आराम हो जाता है। 5 से 10 बूंद औषधि को आधा कप गुनगुने पानी में डालकर पीने से लाभ होता है।

लीडम 3, 30 — गठिया या वात-रोग से नीचे से ऊपर को फैलता है। रोगी को ठंडक से आराम होता है। रात को बिस्तर की गर्मी से रोग की वृद्धि होती है।

एकोनाइट 6, 30 — वात-रोग की तरुणावस्था हो और रोगी को जोड़ों के दर्द के साथ ज्वर आया हो, तो इसकी 4-5 गोलियां पानी में घोलकर दो-तीन घंटे के बाद दें। यदि इससे पूरा लाभ न हो और सूजन में लाली और गर्मी हो, तो ब्रायोनिया 30 देनी चाहिए।

पल्सेटिला 30 — यदि सब जोड़ों में वात-रोग के लक्षण हों, तो इसका जादू जैसा प्रभाव पड़ता है। इसका घुटनों, टखनों, हाथ तथा पैर के छोटे जोड़ सब पर प्रभाव होता है, रोगी गर्मी सहन नहीं कर सकता, आराम से पड़ा रहने पर दर्द बढ़ जाता है, तब इससे लाभ हो जाता है।

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