पुराना जुकाम होने पर का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Chronic Catarrh ]

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गैफाइटिस 6 — जिन रोगियों की नाक हमेशा भरी रहती है, ठस्स रहती है। मुंह से जिन्हें श्वास लेना पड़ता है, कोई त्वचीय रोग होता है, उनके पुराने जुकाम में यह लाभकारी है।

आर्स आयोडाइड 2x — जिनका जुकाम हर समय बना रहता है, किसी दम उनका पीछा नहीं छोड़ता। ऐसे कमजोर व्यक्ति जिन्हें आगे चलकर फेफड़ों से संबंधित रोग हो जाया करता है। वे हर समय नाक से सुड़-मुड़ किया करते हैं, अपने को अशक्त अनुभव किया करते हैं, शरीर से कमजोर होते चले जाते हैं, उनके पुराने जुकाम में यह औषधि लाभकारी है।

कैल्केरिया कार्ब 30 — नाक से ठोस, पीला स्राव निकलता है। रोगी रात में नाक से कम और मुंह से ज्यादा श्वास लेता है। रोगी शीत-प्रकृति का होता है। उसे ठंड बहुत अधिक सताती है, इस पर भी उसे सिर पर पसीना बहुत ज्यादा आता है। इसके पुराने जुकाम में यह औषधि बहुत लाभ करती है।

ट्युबर्म्युलीनम 200 — रोगी को सदा ठंड लगा करती है, खांसी रहती है, शरीर थका-मांदा-सा रहता है, गरम कमरा उसे सहन नहीं होता, ऐसे रोगियों को समय-समय पर यह औषधि देते रहने से उनका पुराना जुकाम भी ठीक हो जाता है।

नैट्रम प्यूर 3, 6 — रोगी को सुबह के समय बहुत अधिक छींके आया करती हैं; बहता, पनीला जुकाम, कभी बहे और कभी न बहे; ठंड महसूस होती रहे; कमजोरी और थकान महसूस हो, रक्तहीनता, चेहरे पर पीलापन छाया रहे-ऐसे रोगी के पुराने जुकाम में यह औषधि देने से आशातीत लाभ होता है।

ऑरम म्यूर 3 — जो लोग हतोत्साहित रहते हैं, पारे आदि के दोष से प्रभावित हैं, जिनके शरीर की हड्डियां दर्द किया करती हैं, नोक पकी रहती है, ऐसे रोगियों के जुकाम में जो कभी ठीक होने में नहीं आता, यह उपयुक्त औषधि है।

हाइड्रस्टिस 3 — कई रोगी ऐसे होते हैं, जिनकी युस्टेकियन ट्यूब (गले में से कान की तरफ जाने वाली नली) में जुकाम का असर होने के कारण वह सूज जाती है। प्रायः ऐसे रोगियों की भी कोई कमी नहीं है जो हमेशा शिकायत करते हैं कि नजला नाक के पीछे उनके गले में लगातार गिरा करता है, ऐसे रोगियों के पुराने जुकाम के लिए इस औषधि का प्रयोग होता है।

कैलि बाईक्रोम 3 — इस औषधि का मुख्य लक्षण-पीला या तारदार, धागे का-सा श्लेष्मा है। नए या पुराने किसी भी प्रकार के जुकाम में ऐसे श्लेष्मा को निकालना इस औषधि का मुख्य कार्य है।

सल्फर 6, 30 — लगातार छींकें आती हैं, नाक बंद हो जाती है, फिर भी नाक से पानी गिरता रहता है, जुकाम रहता है। रोगी को न अधिक गर्मी सहन होती है और न ही अधिक ठंड; दोनों में से जो भी ज्यादा लग जाए, उसी से जुकाम हो जाता है, तब इस औषधि से लाभ होता है।

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