पेट फूलने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Flatulence ]

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हर समय ऐसा अनुभव हो कि पेट में वायु भरी हुई है, जिस कारण पेट फूला हुआ है, इस कारण अत्यधिक घबराहट, बेचैनी और मानसिक तनाव आदि उत्पन्न हो जाता है। निम्न औषधियां इस रोग में अच्छा काम करती है।

चायना (सिनकोना) 30 – संपूर्ण पेट में वायु-संचय होने पर डकार आने से भी चैन नहीं पड़ता। कार्बोवेज में पेट के ऊपर के हिस्से में वायु-संचय होती है और डकार आने से राहत मिल जाती है।

लाइकोपोडियम 30 – इसमें पेट के नीचे (तलपेट) के हिस्से में वायु भर जाती है, सायं 4 से 8 के बीच वायु भर जाने का विशेष कष्ट अनुभव होता है। वायु का प्रकोप आतों में विशेषकर दाईं तरफ होता है।

कार्बोवेज 3x, 30 – छाती की छोटी पसलियों के नीचे वायु भर जाना और डकार आने से चैन पड़ना। इसे यूं भी कहते हैं कि पेट के ऊपर के हिस्से में वायु भर जाती है।

रैफैनस 3, 30 – वायु न ऊपर से निकलती है न नीचे से; नाभि के आस-पास अटकी रहती है, वहीं दर्द होता है, ऐंठन-सी होती है, वायु निकलने में बड़ी कठिनाई होती है। यदि पेट में वायु इकट्ठी हो जाए और पेट में ही बनी रहे, तो यह उपयोगी है। डॉ० बेल ने एक रोगी के पेट का ऑपरेशन किया, जिसे मल तो आ जाता था, किंतु पेट की वायु बदस्तूर बनी रहती थी। उन्होंने उसे रैफेनस दिया और रोगी का दुख दूर हो गया।

मोमोरडिका बेलसैमिना (मूल-अर्क) – बड़ी आंत (कोलन) के उस घुमाव में जहां तिल्ली होती है, वहां यदि वायु अटक जाए, तो इस औषधि के मूल-अर्क की कुछ बूंद देनी चाहिए।

कार्बोलिक एसिड 3, 30 – आंतों के किसी एक भाग में वायु के भर जाने से जब पेट तन जाए, वायु से दर्द हो, जी मिचलाए और कभी-कभी उल्टी भी जाए, तब देनी चाहिए।

नक्स मोस्केटा 1, 6 – जब अजीर्ण का रोगी कहे कि वह जो कुछ खाता है, गैस बन जाती है।

तारपीन – यदि पेट में वायु बहुत अधिक भर जाए, निकलने में न आए, तो तारपीन के तेल की कुछ बूंद एक कपड़े में डालकर एक घंटे के अंतर से पेट पर रखें, आराम पड़ जाएगा।

कैल्केरिया फॉस 6x – पेट में वायु-संचय में यह भी उत्तम औषधि है।

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