चिपटा कृमि का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Flatworm ]

680

यह कृमि त्वचा, मुख-विकार, मूत्रनली या किसी दूसरे उपाय से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है; इस कारण मूत्राशय, मलांत्र पर रोग का हमला होता है। मूत्राशय पर रोग का हमला होने पर मूत्राशय में उपदाह या दर्द, रक्त-स्राव, मूत्राशय में प्रदाह, कूथन, आम-रक्त निकलना, मलद्वार-प्रदाह, जलेन आदि इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।

हाइड्रेस्टिस 1x , रूटा 2x या एसिड-नाई 3 — सरलांत्र में रोग होने पर पहली औषधि पहले दें। इससे लाभ न होने पर दूसरी (दूसरी भी अवश्य दें) और उससे लाभ न होने पर तीसरी औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

Comments are closed.