उड़ने वाले कृमि का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Flying Worms ]

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युवा लड़के-लड़कियों के पतले दस्त के साथ कभी-कभी एक प्रकार का उड़ने वालो कृमि निकलता है। यह कीड़ा (कृमि) आम-फल के साथ उत्पन्न होता और मानव-शरीर में प्रवेश करता है और फिर दस्त के साथ वह बाहर निकलता और उड़ जाता है और फिर किसी अन्य को अपना निशाना बनाता है। यह सिलसिला चलता रहता है। इसलिए उसे “फलांइग-वर्म” कहा जाता है।

होम्योपैथ चिकित्सक आर्सेनिक, चायना, कैल्केरिया कार्ब, नक्सवोमिका, सल्फर, पोडोफाइलम, फास्फोरस आदि औषधियां लक्षण के अनुसार देकर रोगी का भला करते हैं, उसे आरोग्य प्रदान कराते हैं।

कृमियों की कुछ औषधियां निम्नलिखित हैं —

चेलोन 8 — यह औषधि सूत-कृमि तथा गोल-कृमि दोनों को नष्ट करती है। इसके मूल-अर्क की 4-5 बूंदें देनी चाहिए। बच्चों के कृमियों में उपयुक्त है।

इण्डिगो 3 — इस औषधि के रोगी के नाभि-प्रदेश में अत्यधिक दर्द होता है तथा कृमियों के कारण आक्षेप भी पड़ जाता है। यह सूत-कृमियों में उपयोगी है।

सैण्टोनीनम 1X — यह हर प्रकार के कृमियों में लाभप्रद है।

मर्क डलसिस 1X — गोल कृमियों के लिए इस औषध को नित्य प्रातःकाल 5 ग्रेन की मात्रा में 1 सप्ताह तक सेवन करनी चाहिए। इस औषध के सेवन-काल में कोई भारी पदार्थ नहीं खाना चाहिए। इस औषध के सेवन के बाद थोड़ा-सा अरंडी का तेल पीने से सभी कृमि मर कर बाहर निकल जाते हैं।

क्युप्रम-एसेटिकम 6, 30 — इस औषधि को पर्याय-क्रम से दिन में 4-5 बार, 4 से 6 सप्ताह तक देते रहने से रोगी को बिना कोई कष्ट हुए फीता-कृमि नष्ट हो जाते हैं। डॉ० जायेकी के मतानुसार यह औषधि हर प्रकार के कृमियों को नष्ट करती है।

हाइड्रोकोटाइल एसियाटिक 8, lx, 1M — यह श्लीपद या फीलपांव कृमि की सर्वोत्तम औषधि है। त्वचा का हाथी की चमड़ी की भांति बहुत मोटा हो जाना तथा त्वचा पर गोल-गोल दाग और उनके किनारों से छिछड़े उधड़ते जाना, अंडकोषों की वृद्धि तथा उनकी त्वचा का मोटी हो जाना आदि उपसर्गों में इसके प्रयोग से लाभ होता है। इसे 1M की शक्ति में देने से फीलपांव (हाथीपांव) रोग का शीघ्र शमन हो जाता है।

स्टैनम 6, 30 — इस औषधि के व्यवहार करने से कृमि नष्ट हो जाते हैं और वे शेष नहीं रहते।।

ट्युक्रियम 1x — गुह्यद्वार में तीव्र जलन, स्नायविक उत्तेजना के कारण सिर में चक्कर और निद्रा ने आना आदि में इस औषधि से बहुत लाभ होता है।

स्पाइजेलिया 3 — यह छोटे कृमियों की अच्छी औषधि है। मलद्वार में खुजली होती है। मल के साथ कृमि निकल जाता है।

डॉ० हयूज का कथन है कि लाइकोपोडियम 30 दो दिन तक, विरेटम 12 चार दिन तक और इपिकाक 6 सात दिन तक सेवन करने से कृमि नष्ट हो जाते हैं। छोटे बच्चों के कृमियों के लिए कैल्केरिया 30 उपयुक्त औषधि है।

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