मांस का सड़ाव या ग्रैंग्रीन या मॉर्टिफिकेशन का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Gangrene, Mortification ]

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गैंग्रीन हो जाने पर रोगी-स्थान में जलन और दुखन होती है। कभी-कभी त्वचा का शोथ तंतुओं को सड़ा देता है। इस सड़न में जलन होती है, जलन के साथ कतरन का-सा दर्द होता है। रोगी को लगता है मानो दहकते अंगारों में वह स्थान जल रहा है। रोगी को बड़ी बेचैनी होती है।

आर्सेनिक 30 — यह गैंग्रीन की उत्तम औषधि है। अल्सर, नासूर और गैंग्रीन में इसका उपयोग होता है।

कार्बोवेज 30 — यदि गैंग्रीन में फोड़े का रंग नीला या काला पड़ जाए, तब इसे देना चाहिए।

सिकेल कोर (अर्गट) 30 — रक्त के त्वचा में कहीं ठहर जाने, बने रहने से वह स्थान सड़ने-गलने लगता है। यह स्थिति प्रायः उंगलियों में हुआ करती है, क्योंकि वे रक्त-संचार में सबसे दूर स्थित है। इस प्रकार जब गैंग्रीन हो जाता है, तब इस औषधि से लाभ होता है।

लैकेसिस 30, 200 — यदि चोट आदि लगने अथवा फोड़ा होने के बाद वह स्थान नीला पड़ जाए और उसमें से नीला-सा पस या रक्त निकलने लगे, तब यह औषधि उपयोगी सिद्ध होती है।

एकिनेसिया (मूल-अर्क) — यह औषधि रक्त को शुद्ध करती है। इसकी मूल-अर्क (मदर टिंक्चर) की 1 से 10 बूंद तक या प्रति दो घंटे देनी चाहिए। सैप्टिकल अवस्था हो, गैंग्रीन हो, तब इस औषधि का उपयोग होता है।

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