पेट दर्द का होम्योपैथिक दवा [ Homeopathic Medicine For Gastralgia ]

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इसमें पेट में असह्य दर्द होता है और कभी-कभी यह दर्द बहुत अधिक समय तक रहता है। दर्द पहले पेट के किसी एक स्थान पर होता है, बाद में वह चारों तरफ फैल सकता है। अधिकतर नाभि के नीचे ही ज्यादा होता है। भोजनोपरांत पाकस्थली में नाखून से खरोंच डालने की तरह या कसकर पकड़ने की तरह या खरोचने की तरह दर्द होता है। खाने का कोई पदार्थ पेट में जाते ही दर्द का बढ़ना, खट्टा या तीता स्वाद मिली डकारें, वमन होकर खाया हुआ पदार्थ निकल जाने पर दर्द कम होना आदि उपसर्ग इस रोग में दिखाई पड़ते हैं।

नक्सवोमिका 30 – पेट में बोझ-सा मालूम होना, दर्द होना, खाने के कुछ देर बाद कष्ट बढ़ जाना। अजीर्ण इस औषधि का प्रधान लक्षण है। खाने के लगभग आधा घंटा बाद पेट में बेचैनी शुरू हो जाती है। असल में पेट के रोगों में नक्सवोमिका का लक्षण पेट की असहिष्णुता है, जिसके कारण भोजन पेट में आकर पेट में बेचैनी शुरू कर देता है, पेट में ऐंठन का दर्द होता है। इसलिए कभी-कभी उल्टी भी आ जाती है। ऐनाकार्डियम में खाली पेट होने पर, नक्सवोमिका में खाने के आधा घंटा बाद, लाइकोपोडियम तथा नक्स मोस्केटा में खाने के तत्काल बाद पेट में दर्द शुरू हो जाता है।

ऐनाकार्डियम 6, 30, 200 – पेट खाली-खाली लगता है, खाने से पेट-दर्द में आराम आता है। इस औषधि के अजीर्ण-रोग का यह विलक्षण-लक्षण है, कि पेट दर्द हो और खाने से पेट-दर्द में आराम हो। रोगी खाता भी क्या निगलता है, पीने में भी जल्दबाजी से काम लेता है। यह जल्दी पेट के खालीपन के कारण ही होती है। खाने के दो घंटे बाद फिर पेट के खाली हो जाने के कारण हल्का दर्द शुरू हो जाता है।

लाइकोपोडियम 30, 200 – इसमें पेट में बेचैनी पेट में भोजन पड़ते ही आरंभ हो जाती है, नक्स की तरह आधा घंटा बाद नहीं, नक्स मोस्केटा में भी भोजन करते ही पेट में बेचैनी शुरू हो जाती है, किंतु इसके साथ भोजन के बाद कमर पर कपड़ा बर्दाश्त नहीं होता, कमर पर कोई दबाव नहीं रहना चाहिए। कमर पर दबाव न सहन कर सकना लैकेसिस का लक्षण है, किंतु लैकेसिस की यह प्रकृति हर समय बनी रहती है, नक्स मोस्केटा में यह लक्षण केवल भोजन करने के बाद प्रकट होता है। लाइकोपोडियम का पेट के संबंध में दूसरा लक्षण अर्जेन्टम नाइट्रिकम की तरह मीठे के प्रति लालसा है। रोगी के पेट में एसिडिटी (Acidity) हो जाता है, खट्टी डकार, खट्टी उल्टी आती है। डकार आने से तो आराम मिलता है, किंतु नीचे से गैस निकलने से कष्ट नहीं जाता है, क्योंकि और गैस उत्पन्न होती जाती है।

बिस्मथ 6 – पेट में भारी जलन होती है, एकदम सब वमन में निकल जाता है। पानी पेट के अंदर जाते ही, पेट की दीवार को छूते ही वमन हो जाता है। इसके पेट-दर्द में रोगी को पीठ की तरफ पीछे मुड़ने से राहत महसूस होती है। खाने के तत्काल बाद पेट में ऐंठन के साथ दर्द होता है।

औग्जैलिक एसिड 6, 30 – पेट में कतरने वाला दर्द, वायु निकलने से आराम पड़ता है। खाने के दो घंटे बाद नाभि से ऊपर के हिस्से में पेट में वायु भर कर दर्द होता है।

बेलाडोना 30 – इसके हर प्रकार के (पेट के भी) दर्द की विशेषता यह है कि दर्द एकदम आता और एकदम चला जाता है (अर्जेन्टम नाइट्रिकम और स्टैनम से उल्टा)। कार्बोलिक एसिड में भी असह्य दर्द होता है और वह भी एकदम आता और एकदम चला जाता है। बेलाडोना का दर्द भोजन करते समय हो जाता है, रोगी पीछे को झुकता है, श्वास रोकता है, यह दर्द पीछे रीढ़ में से गुजरता है, खाने के बाद और बढ़ जाता है; कभी-कभी घूमते-फिरते इस तरह के पेट-दर्द का आक्रमण हो जाता है।

अर्जेन्टम नाइट्रिकम 3, 30 – इसका पेट-दर्द प्रायः नर्वस स्त्रियों में हुआ करता है। किसी भी मानसिक-उद्वेग (Emotion) से, और आमतौर पर ऋतुकाल के समय उठ खड़ा होता है। रोगी को ऐसा अनुभव होता है मानो पेट में कुछ ढेला-सां ठोस-पदार्थ पड़ा है। कभी-कभी रोगी को ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कोई फोड़ा पेट में दर्द पैदा कर रहा है। इसी फोड़े जैसे स्थान से दर्द उठकर इधर-उधर फैलता है। इस प्रकार का दर्द धीरे-धीरे आता और धीरे-धीरे जाता है। रोगी तनिक-सा भोजन सहन नहीं कर सकता, क्योंकि इससे दर्द बढ़ जाता है। कभी-कभी दोहरा होने या पेट पर दबाव डालने से दर्द में आराम पड़ता है।

कोलोसिंथ 6, 30 तथा आर्ज-नाई 6 – प्रायः पेट-दर्द में रोगी को पेट दबाकर आगे झुकने से राहत महसूस होती है। इस लक्षण में यह मुख्य औषधि है। यदि पेट-दर्द में पीछे की तरफ झुकने से आराम पड़े, तो आर्ज-नाई 6 देनी चाहिए। पेट-दर्द में दोनों की प्रकृति एक-दूसरे से उल्टो है।

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