ग्रंथि शोथ ज्वर का होम्योपैथिक दवा [ Homeopathic Medicine For Glandular Fever ]

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यह ज्वर भी एक प्रकार का संक्रामक रोग है। यह ज्वर बच्चों को ही अधिक चढ़ता है। ज्वर की तेजी के साथ गला भी कुछ लाल हो जाता है। गले तथा नाक की गांठे फूल जाती हैं, जिनमें तेज दर्द होता है। प्लीहा और यकृत बढ़ जाते हैं, भूख नहीं लगती-ये इस ज्वर-रोग के प्रधान लक्षण हैं। जहां ज्वर सप्ताह भर रह सकता है, वहीं गांठों की सूजन और वृद्धि कई सप्ताह तक रहती है। कई बार तो कुछ बच्चे बार-बार इस रोग के शिकार हो जाते हैं। इस रोग का कारण अभी तक सही ज्ञात नहीं हुआ है।

बेलाडोना 3x – ज्वर की अवस्था में ग्रंथियां सूज जाएं तब इस्तेमाल करें।

कैल्केरिया कार्ब 6 – जिन बच्चों का पोषण ठीक प्रकार नहीं होता या जो शरीर से मोटे होते हैं, जिन्हें सहज में भी पसीना आ जाता है, उन्हें इस औषध से लाभ होता है।

फाइटोलैक्का 3, 30 – जिन्हें बार-बार यह रोग हो जाता हो, ज्चर उतर जाने के बाद भी यदि ग्रंथियां फूलती रहें।

हिपर सल्फर 6 – ग्रंथियों में पीब पड़ जाने पर।

सिलिका 6 – पीब निकल जाने पर सेवन कराएं।

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