आंत उतरने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Hernia (Rupture) ]

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इस रोग में छोटी आंत का कुछ भाग, आंतों को चारों ओर से घेरे रखने वाली एक पर्त में, जिसमें दो छिद्र होते हैं, उतर आता है, जिसके कारण अंडकोषों का आकार बढ़ जाता है। उस समय तेज दर्द, ज्वर, उल्टी, हिचकी और पेट फूलना आदि पीड़ादायक लक्षण प्रकट होते हैं। यदि रेत सड़ जाएं, तो मृत्यु भी संभावित हो जाती है। बहुत भारी बोझ को उठाना, गिर पड़ना, जोर से खांसना, छींकना, रोना, निरंतर भ्रमण करना, अधिक परिश्रम, घुड़सवारी, पेट की पेशियों पर दबाव पड़ना तथा वृद्धावस्था की कमजोरी आदि कारणों से यह रोग होता है।

लैकेसिस 30 तथा एकोनाइट 30 — जब आंत का हिस्सा अंडकोष की थैली में जाता-जाता मार्ग में अटक जाए, जिस कारण सूजन हो जाए, जलन वाला दर्द हो, घबराहट के साथ ठंडा पसीना आने लगे, तब 30 शक्ति में एकोनाइट देनी चाहिए। इससे लाभ न होने पर लैकेसिस का प्रयोग करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी भी कराई जा सकती है।

लाइकोपोडियम 30 — यह औषधि दाएं अंडकोष में आंत उतरने में लाभ करती है। रोगी की दाईं जांघ में तेज दर्द होता है और रोगी को ऐसा महसूस होता है कि पेट की परत के उस छिद्र में से, जिसमें से अंड थैली में उतरता है, आंत नीचे की थैली में उतरने का उपक्रम कर रही है। जीर्ण रोग में इसकी 1M की मात्रा 15 दिन में एक-दो बार दो-तीन महीने तक देने से यह रोग समाप्त हो जाता है।

कैल्केरिया कार्ब 30 — कई होम्योपैथ चिकित्सकों का मानना है कि हर तरह के हर्निया में इसी औषधि से उपचार आरंभ करना चाहिए। यह हर्निया में बहुत लाभ करती है।

नक्सवोमिका 6, 30 — यह दाएं हर्निया में काम आती है। यह छोटे बच्चे की नाभि के हर्निया में भी उपयोगी है। बड़े लोगों के अंडकोष के हर्निया में दो यह अत्यंत लाभकारी है।

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