हिचकी का होम्योपैथिक दवा [ Homeopathic Medicine For Hiccup In Hindi ]

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जब आमाशय में किसी प्रकार की गड़बड़ी हो जाती है, तो हिचकी आती हैं। इसके लिए निम्न औषधि दी जानी चाहिए –

इग्नेशिया 200 – यदि हिचकी आती हो और खाने के बाद और ज्यादा बढ़ जाएं, या धूम्रपान करने से उसमें वृद्धि हो अथवा तंबाकू चबाने से परेशान करने वाली हिचकी आये, कभी-कभी मानसिक उद्वेग से भी हिचकियां जारी हो जाती हैं; बच्चे रोते-रोते हिचकियां लेने लगते हैं। यदि दुख, निराशा या मानसिक-आघात से हिचकी आने लगे, तो इस औषध से लाभ होता है।

नैट्रम म्यूर 6, 30 – यदि क्विनीन के अधिक सेवन से हिचकियां आएं, तो यह औषधि क्विनीन के विष को काट देती हैं। डॉ. बर्नेट ने रोगी को इस औषधि के विचूर्ण की 6 ग्रेन मात्रा को थोड़े पानी में घोलकर दिन में दो बार लेने को कहा है। इससे एक महीने में दस साल पुराना रोग भी चला जाता है। यह औषधि मलेरिया ज्वर के रोगियों के लिए भी लाभकारी है।

हायोसाइमस 30 – यदि किसी ने किसी कारणवश पेट का ऑपरेशन कराया है और उसे हिचकी-रोग ने आ घेरा है, तो उसके लिए यह सर्वोत्तम औषधि है।

कोलचिकम 3, 6 – कई घंटों लगातार हिचकी आने में इसे दें।

कठिन रोगियों के लिए जिनका रोग कठिन हो चुका हो, वो निम्न औषधियों में किसी भी एक औषधि का उपयोग करके देखें :-

हाइड्रोसाएनिक एसिड 1 प्रति 2 घंटे, सल्फ्यूरिक एसिड 3 प्रति 4 घंटे, कैलिब्रोम 2 प्रति 4 घंटे; जिंकम बेलेरियेनम 2 बड़ी जबरदस्त हिचकी में सेवन कराएं।

जिनसेंग 3 (मूल-अर्क) – सभी प्रकार की हिचकियों में इससे आशातीत लाभ होता है।

नक्सवोमिका 30 – अपचन के कारण हिचकी। डॉ का कथन है कि हिचकी के साधारण नए रोग में इसे हर 10 मिनट बाद दें। यदि रोग पुराना हो जाएं, तो 4-4 घंटे बाद दें। यदि इससे लाभ न हों, तो साइक्लेमेन दें।

साइक्लेमेन 3 – यदि खाने के बाद हिचकी आने लगे; स्त्री को गर्भावस्था में हिचकियां परेशान करें, तो इस औषधि से बहुत लाभ होता है।

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