गुदा प्रदेश में सूजन आने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Inflammation of Rectum ]

2,012

फास्फोरस 30 — गुदा-प्रदेश में छुरी के चुभने की-सी जलन-मिश्रित कष्ट होता है। मल बड़ी कठिनता से बाहर आता है। मेले लंबा और सख्त होता है, कुत्ते के मल जैसा; मल के समय गुदा से रक्त बहने लगता है, तब इस औषधि से लाभ होता है।

नाइट्रिक एसिड 6 — गुदा के जीर्ण-शोथ में जब वहां संकोचन की प्रवृत्ति हो, जिससे गुदा फटने आदि की शिकायत हो जाए, तब इस औषधि की 6 शक्ति दिन में 3 बार प्रयोग करें।

इग्नेशिया 200 — मल-त्याग के पश्चात गुदा में दर्दयुक्त संकोचन हो; गुदा में अंदर तक खुजली, सुई चुभने जैसी चुभन, कांच का निकलना आदि लक्षणों में इस औषधि से लाभ होता है।

पोडोफाइलम 6 — मल आने से पहले कांच निकल आती है, बहुतों के मल के बाद निकलती है। इस औषधि में कब्ज तथा दस्त पर्याय-क्रम में आते-जाते रहते हैं।

कैप्सिकम 3, 6 — गुदा में बेहद दुखन होती है, मल-त्याग के समय सुई चुमने जैसी पीड़ा होती है। जलन के साथ मरोड़, रक्त-मिश्रित आंव, मेल के बाद कमर में दर्द, मल के बाद प्यास अधिक लगती है, शरीर में ठिठुरन-सी महसूस होती है, गुदा-प्रदेश में दुखन होती है, मल-त्याग के समय दर्द होता है। खूनी बवासीर में भी यह औषधि लाभ करती है।

कोलचिकम 30 — नश्तर चलाने जैसा गुदा में दर्द होता है। मल में सफेद टुकड़े से भरे रहते हैं। ऐसा लगता है कि गुदा-प्रदेश में मल भरा पड़ा है, किंतु वह निकाले से नहीं निकलता, दर्द होता है, जैली जैसी आंव निकलती है।

ऐलो 3 — गुदा-प्रदेश में जलन होती है। ठंडे पानी का प्रयोग करने से रोगी को राहत मिलती है। गुदा-प्रदेश की सूजन के कष्ट में इस औषधि से लाभ होता है। यदि बवासीर का रोग भी हो, तो वह भी इससे दूर हो जाता है।

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