स्त्री के जननांगों में जख्म होना और गुदा प्रदेश में खुजली होने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Noma Pudendi and Pruritus ani ]

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बवासीर, कृमि, रजोरोध; एकाएक किसी चर्म रोग या स्राव का रुक जाना, मल-संचय, अफीम या क्लोरल का बराबर सेवन करना, यकृत का दोष आदि कारणों से मलद्वार कुटकुटाता है, सुरसुराता है और खुजली होती है।

रेडियम ब्रोमेटम 30 प्रति सप्ताह 1 मात्रा सेवन करनी चाहिए। यदि इससे लाभ न हो, तो मल रोग (जैसे कृमि से पैदा हुई खुजली में साइना या ट्युक्रियम) का निश्चय कर उसका प्रतिकार करना चाहिए।

सल्फर 30, लाइकोपोडियम 30, पेट्रोलियम 30, आर्सेनिक 30 और नैट्रम म्यूर 12x विचूर्ण मलद्वार की खुजली में अति उत्तम औषधियां हैं। कैडमियम, ऐम्ब्रा, कार्बोवेज, कोलिन्सोनिया, लाइकोपोडियम, कोनायम-बाहरी जननेन्द्रिय की खुजली की प्रधान औषधियां हैं।

ओपियम, नक्सवोमिका, मर्क, इग्नेशिया, एसिड नाइट्रिक, एल्यूमिना, एण्टिम क्रूड, डलिकस आदि औषधियां की भी कभी-कभी आवश्यकता होती है। बोरेक्स, कार्बोलिक एसिड, मयूंरियस, कैलेण्डुला, इस्क्युलस, हैमेमेलिस या बार्केस्कम आदि औषधियों का मरहम या धोबन के बाहरी प्रयोग से भी कभी-कभी लाभ होता है।

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