पेरिटिफ्लाइटिस का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Perityphlitis ]

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सिकम (अंत्रपुट) के चारों ओर के जाल की तरह जो टिश्यू हैं, उनमें प्रदाह हो जाता है, तो उसको “पेरिटिफ्लाइटिस” कहते हैं। बहुत बार तो टिफ्लाइटिस के रोग से भी यह रोग हो जाता है। पेट में चोटादि लगकर भी इस रोग की उत्पत्ति हो जाती है। इस रोग के आरंभ में पहले रोग वाली जगह सुन्न-सी प्रतीत होती है, सुरसुरी होती है और थोड़ा पेट फूलता है। यदि प्रदाह नहीं घटता, तो रोग बढ़कर दाहिने पुढे के स्थान के ऊपर तलपेट में फोड़ा हो सकता है। यदि फोड़ा फट जाता है, तो पुपर्टस-लिगामेंट के पास वाली जगह से पीब रिसने लगती है।

लाइकोपोडियम 30 — तीव्र दर्द हो और पेट थोड़ा फूल जाए, तब इसे दें।

नक्सवोमिका 30 — पेट में एक प्रकार का बोझ-सा मालूम होना, दर्द होना, खाने के बाद कष्ट का बढ़ जाना।

औग्जैलिक एडिस 6, 30 — बहुत बेचैनी, तीव्र दर्द, दर्द घटता-बढ़ता रहता है, उबकाई आती है, उल्टी करने की इच्छा होती है।

मैग फॉस 3x — दर्द या कष्ट कैसा भी हो, इससे लाभ होता है।

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