गुदा का चिर जाना या कांच निकलने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Prolapsus of Anus ]
मलद्वार से सरलांत्र (कांच) के बाहर निकल आने को “कांच निकलना” कहते हैं। 1 से 6 इंच तक कांच बाहर निकल आती है। यदि समूची श्लैष्मिक-झिल्ली बाहर निकल जाए, तो उसे “गुह्यद्वार निकलना” कहते हैं। कृमि, बवासीर, मलद्वार की खुजली, उद्येद का बैठ जाना, पेट में मल जमा होना, उदरामय, कब्जियत, मल-त्याग के समय कांखना आदि कारणों से यह रोग हो जाता है। यह रोग विशेषकर बच्चों, वृद्धों और गर्भिणी स्त्रियों को होता है।
एलो θ, 3x — मलद्वार की संकोचन-पेशी शिथिल होने के कारण कांच बाहर निकल आए, कांच ही नहीं, रोगी का मल भी अनजाने बाहर निकल पड़े, रक्त के साथ पतले दस्त हों, भोजन के बाद मल-त्याग की इच्छा हो, तब इस औषधि को देने से लाभ होता है।
इग्नेशिया 30 — मल के लिए जरा-सा जोर लगाने पर ही कांच निकल आती है, मल का वेग तीव्र होता है, किंतु कोशिश करने पर भी मल नहीं निकलता, कांच के निकलने पर बहुत कष्ट से होता है, खुजली रहती है।
पोडोफाइलम 6 — सवेरे के समय पतले दस्त होना, मल-त्याग के बाद कांच का निकल आना, कूथन, बदबूदार दस्त, बच्चे के दांत निकलने के समय कांच का निकलने में उपयोगी है।
नक्सवोमिका 3 — कब्जियत के साथ कांच निकलना, कांखनी आदि में यह लाभप्रद है।
म्युरियैटिक एसिड 3 — मूत्र-विसर्जन करते समय कांच निकल आना तथा मल हो जाना।
रूटा 6 — मल-त्यागने के जरा-से प्रयत्न से ही कांच का निकल आना। स्त्रियों में प्रसव के बाद हर बार मल-त्यागने के समय कांच निकल आती है। इसमें यह औषधि अत्यंत उपयोगी है।
मर्क-वाइयस 3 — अतिसार, पेट कड़ा और फूला। कांच निकलने के समय पीले रंग का श्लेष्मा निकलनी और बेहद खुजली का होना।
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