योनि भ्रंश का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Prolapsus of the Vagina ]

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गुदा में कड़ा मल इकट्ठा होना, बहुत अधिक परिश्रम करना, भारी चीजें उठाना, बहुत समय से उकड़ बैठे रहना, मल-त्याग के समय कांखना, प्रसव के बाद जल्दी उठ बैठना, कब्जियत, जुलाब लेना, अधिक संगम, बवासीर, वमन, कसे हुए वस्त्र धारण करना, अधिक उछल-कूद करना और चोट आदि लगने से जरायु के स्थान से हटने के साथ कभी-कभी योनि भी निकल पड़ती है, जिसे “योनि-भ्रंश” कहा जाता है। इस रोग में निम्न औषधियां लाभ करती हैं

ओसिमर्म कैनमें 6, 30 — यह औषधि तब देनी चाहिए, जब समस्त योनि भग-द्वार से बाहर निकल पड़े।

स्टैनम 6 या क्रियासेट 6 — यदि कठोर मल के कारण योनि-भ्रंश हुआ हो, तो स्टैनम उपयोगी है। योनि में बेहद खुजली हो और काम की भावना भड़क उठे, तब क्रियोसोट का प्रयोग करें। ये दोनों इस रोग की प्रधान औषधियां हैं।

निमफिया ओडोरेटो (मूल-अर्क) 6 — जरायु तथा योनि के शोथ, व्रण तथा स्थान-च्युति तथा योनि-भ्रंश में यह औषधि बहुत लाभप्रद है।

सिपिया 30 — योनि-भ्रंश के साथ ही ऐसा अनुभव होना, जैसे पेट की सब चीजें बाहर आ जाएंगी; इस औषधि के प्रयोग से यह शिकायत दूर हो जाती है।

आर्निका 30, 200 — यदि किसी प्रकार के आद्यात से या सहवास से योनि-भ्रंश हुआ हो, तो इस औषधि का प्रयोग करें।

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