लाल बुखार का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Scarlet Fever ]

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यह भी एक संक्रामक रोग है। यह शिशुओं और बालक-बालिकाओं को ही अधिक होता है और जीवन में केवल एक ही बार होता है। इसमें तेज ज्वर, तीव्र नाड़ी, शरीर पर बहुत से लाल रंग के (आरक्त) उदभेद निकलते हैं। इसके साथ ही गले में जख्म, बहुत कमजोरी और पेशाब थोड़ा आदि कितने ही लक्षण दिखाई देते हैं। यह रोग एक तरह के विष से उत्पन्न होता है। साधारणतः इसके रोगी के शरीर की भूसी, गले के जख्म की पीब लगकर अथवा रोगी के कपड़े, आसन अथवा वायु आदि के द्वारा परिचालित होकर या दूध, जल, खाद्य आदि के साथ यह निश्चयी ही एक देह से दूसरी देह में चला जाता है। आरक्त-ज्वर (स्कार्लेट फीवर) का विष बहुत दिनों तक घर में, वस्त्रों में लगा रहता है, इसलिए रोग के आराम हो जाने के बाद घर और घर की सब चीजें अच्छी तरह शोधित कर लेना आवश्यक है।

एकोनाइट 3x – ज्वर की प्रथम अवस्था में यह औषध दी जानी चाहिए।

मर्क कोर 3 – गांठें सूजी, गले में जख्म, बहुत लार गिरना, श्वास में बदबू, शरीर सुस्त। यदि किडनी भी आक्रांत हो, तो यह विशेष लाभ करती है।

फाइटोलैक्का 1x – गले के उपसर्ग कड़े दिखाई दें, तो यह लाभकारी है।

बेलाडोना 6 – ज्वर, गले में घाव, प्रलाप, लाल रंग के दानें निकलना आदि लक्षण में इस औषध को देना चाहिए।

हिपर 30 – यह औषध तब दें, जब रोग आरंभ होने की दिशा में अग्रसर हो।

एपिस 6 – तेज ज्वर, तंद्रा, गला फूल जाना, जिह्वा और मुंह के भीतर का भाग लाल, जिह्वा में फफोले, दाने खुजलाने वाले, शोथ, मूत्रग्रंथि-प्रदाह।

इचिनेशिया Q – रक्त विषैला होने के लक्षण में, गले में दर्द या गला रुक जाना, ग्रंथियां बढ़ने या उनमें पीब आ जाने के लक्षण में।

क्रोटेलस 3 – गले में जख्म, कंधे की ग्रंथियां फूली हुई हों, तब इसे दें।

आर्सेनिक 3 – दाने अच्छी तरह न निकलें या निकलते ही मलिन हो जाए, शरीर ठंडा, तेजी से सुस्त हो जाना, बेचैनी, प्यास, शोथ, ऐंठन, मूलग्रंथि-प्रदाह।

सल्फर 30 – सारे बदन का लाल चमकीला रंग, खुजलाहट और जलन।

एइलैंथ 1x – तंद्रा, बेहोशी, सिरदर्द, चेहरा गरम और लाल, गला फूलना, नाक से त्वचा को छील देने वाला पानी निकलना, दाने काले या नीली आभा लिए या थोड़ी मात्रा में निकलना, तेज वमन, सांघातिक उपसर्गों में यह औषधि अवश्य ही देनी चाहिए।

क्यूप्रम-एसेट 3x – दानों का बैठ जाना, वमन, ऐंठन, मस्तिष्क पर आक्रमण होने पर।

एसिड म्यूर 2x – कान से पीब बहने, कम सुनाई पड़ना, ज्वर आदि में।

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