गंध शक्ति का आगमन व लोप होने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Smell Fetid or Lost ]

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नाक से सड़े घाव की-सी गंध आती है, जैसी पीब में से अक्सर आया करती है, जिससे रोगी का खुद का जी खराब हो जाता है। वह जल्द से जल्द इस गंध से छुटकारा पा लेना चाहता है और कभी-कभी वह गंध लोप भी हो जाती है, तब उसके दिमाग को सुकून मिलता है।

एकोनाइट 6, 30 — नाक से अत्यधिक तीव्र गंध का आना; ऐसी दुर्गन्ध महसूस करना, जिससे खोपड़ी घूम जाए। इस औषधि के प्रयोग से गंध धीरे-धीरे लोप होने लगती है।

बेलाडोना 30 — नाम-मात्रे की गंध को भी सहन न कर सकना। नाक में से श्वास के साथ तंबाकू जैसी गंध का आना।।

ग्रैफाइटिस 6 — गंध-शक्ति का वेग बहुत अधिक होना। इस गंध के आगे इत्र जैसी सुगंध का भी लोप हो जाना।

कार्बोलिक एसिड 3, 6 — किसी भी प्रकार की गंध को सह न सकना, हर तरह की गंध से घृणा हो जाना।

ऑरम मेट 30 — किसी भी प्रकार की गंध, चाहे वो कितनी हल्की क्यों न हो, बहुत तेज आती महसूस होना।

कैलि बाईक्रोम 30 — नाक से बदबूदार स्राव निकलता है। मवाद गाढ़ा, हरा-पीला सूतदार होता है। नाक के पिछले हिस्से से नाक का स्राव गले के भीतर गिरता है, दोनों नासिकाओं के बीच के पर्दे पर घाव हो जाते हैं। नाक के भीतर शोथ हो जाता है जो माथे के साइनस तक पहुंच जाता है, जिस कारण माथे में हर समय दर्द बना रहता है।

मर्क सोल 30 — नाक से बहुत बदबूदार सड़ा हुआ-सा मवाद-सा निकलता है। वर्षा-काल में इस रोग की वृद्धि हो जाने पर इस औषधि में लाभ होता है।

गंध-शक्ति के लोप होने की औषधियां निम्नलिखित हैं —

नैट्रम म्यूर 30 — यदि गंधरहित स्राव बहुत गाढ़ा हो, तो यह औषधि देनी चाहिए।

अर्जेन्टम नाइट्रिकम 3, 30 — यदि किसी प्रकार के ज्वर आदि के कारण गंध लोप हो गई हो, तब इसे दें।

ऑरम मेट 30 — यदि जीर्ण जुकाम के कारण या नाक की हड्डी की बनावट के कारण या रक्त में किसी प्रकार का विषैलापन आ जाने के कारण यह रोग हो गया हो, तब यह उपयोगी है।

थूजा 30, 200 — यदि सर्दी लगने से नाक के भीतर की श्लैष्मिक-झिल्ली के शोथ के कारण से गंध न आती हो, तब लाभप्रद है।

लेम्ना माइनर 30 — नाक में सूजन तथा प्रदाह तथा नाक में अर्बुद के कारण गंध का न आना, तब इसे दें।

मैग्नेशिया म्यूर 3 — जीर्ण जुकाम, नजला, इन्फ्लुएन्जा आदि के बाद गंध का लोप होना, इसमें उपयोगी है।

अमोनिया म्यूर 3x — नाक बंद हो जाए, जुकाम रहे, खांसी हो, तब गंध लोप हो जाए; ऐसे में इसे दें।।

साइलीशिया 6, 30 — दोनों नासिकाओं के बीच पर्दे में छिद्र हो जाना, नाक की हड्डी का स्पर्शासहिष्णु होना, नाक बंद हो जाने के साथ ही गंध-शक्ति का लोप हो जाना। इसमें यह औषधि लाभ करती है।

मेजेरियम 30 — नाक का भीतरी भाग का छिल-सा जाना, गंध-शक्ति का लोप हो जाना, नाक का बंद हो जाना।

पल्सेटिला 30 — नाक के भीतर श्लैष्मिक-झिल्ली के शोथ से गंध-शक्ति को लोप होना। इसमें स्राव गाढ़ा होता है, तब इससे लाभ होता है।

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