योनि का संकुचन का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Vaginismus ]

847

बहुत-सी युवतियों का योनि-द्वार बहुत तंग होता है, जिस कारण उसे ढांपने वाली झिल्ली (कुमारीच्छद) में अनुभूति की अधिकता होती है, इसलिए संगम-स्पर्श से योनि के चारों ओर की पेशियां अकस्मात सिकुड़ जाती हैं, जिस कारण रति-क्रिया में असमर्थता होती है। इसे ही योनि का आक्षेप कहते हैं। सहवास के समय पुरुष का शिश्न योनि में प्रवेश नहीं कर पाता है और पेशियों में आक्षेप पैदा होकर बहुत पीड़ा होती है, जोर-जबरदस्ती करने पर कभी-कभी स्त्री बेहोश तक हो जाती है, अतः रोग के शमन तक रति करना मना है।

साइलीशिया 6x, 30 — योनि में निम्नमुखी बोझ और किसी प्रकार का दर्द हो और वह किसी स्पर्श तक को भी सहन न करे, तब इस औषधि का प्रयोग करें।

बेलाडोना 30 — योनि-मार्ग बहुत अधिक खुश्क होने की वजह से सहवास में कठिनाई हो अथवा स्त्री को सहवास में भय लगने के कारण योनि का आक्षेप हो जाता हो, तब यह औषधि दें।

प्लम्बम 6 — यदि भग तथा योनि अत्यंत स्पर्शासहिष्णु हो, तो इस औषधि को प्रति 4 घंटे देने से यह शिकायत दूर हो जाती है।

स्टैफिसैग्रिया 30 — यदि सहवास के समय अत्यधिक पीड़ा होती हो, तो इसे प्रयोग करें।

इग्नेशिया 6, 30, 200 — जिस स्त्री के भग तथा योनि में शोथ होने से आक्षेप होता हो, अथवा स्त्री हिस्टीरिया-रोग से पीड़ित हो, तो यह औषधि लाभ करती है।

Comments are closed.