रक्त में श्वेत कणों की वृद्धि का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For White Blood Corpuscle ]

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ऐसा कई बार देखने में आया है कि रक्त में श्वेतकणों की अत्यधिक वृद्धि हो जाती है, जिस कारण रोगी का चेहरा मलिन हो जाता है। इस रोग का होना अच्छी बात नहीं है, इसलिए जैसे ही इसकी उत्पत्ति हो, इसके उपचार की प्रक्रिया शीघ्र करनी चाहिए।

नैट्रम म्यूर 30 — रक्त में श्वेतकणों के बढ़ने से रोगी के शरीर का रंग मटमैला, चित्त म्लान और खिन्न रहता है। रक्तहीनता में भी यह औषधि बहुत उपयोगी है।

चायना (मूल-अर्क) — इस रोग में इस औषधि की 8-10 बूंद पानी में मिलाकर दिन में 2-3 बार देने से ही रोगी को आराम हो जाता है। इससे रक्त की विकृति दूर होती है।

आर्सेनिक आयोडाइड 3x — यह इस रोग की सर्वाधिक उत्कृष्ट औषधि है। भोजन के पश्चात 2 ग्रेन की मात्रा में इस औषधि का सेवन करने से लाभ स्पष्ट दिखलाई पड़ता है।

कैल्केरिया कार्ब 6 — यदि थुलथुले शरीर का रोगी हो और उसके शरीर पर चिपचिपा पसीना आता हो तथा पैरों में सूजन हो, तो यह औषधि उसके लिए उपयोगी है। ठंडे पानी से स्नान करने से रोग-लक्षणों की वृद्धि होती है, तब यह औषधि लाभ करती है।

सिएनोथस 3 — रक्त में श्वेतकणों की वृद्धि से यदि तिल्ली में कष्ट हो, तब यह उपयोगी है।

नैट्रम सल्फ 3x — यह औषधि भी इस रोग में लाभकारी है।

पिकरिक एसिड 6 — इस रोग में यदि कामोद्रेक हो, तो इससे लाभ होता है।

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