आंखों की सूजन का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Remedies For Chorioretinitis, Inflammation of the Choroid ]

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तीन परतों में लिपटा हुआ होता है आंख का गोलक! पहली परत बाहर की परत है, जो सफेद, मोटी और दृढ़ होती है, जिससे आंख की गोल शेप बनती है। इसे शुभ्र-पटल कहते हैं। इसके बाद दूसरी परत एक पर्दा होता है, यह काला होता है। इसे कृष्ण-पटल कहते हैं। इस दूसरी परत के बाद तीसरी परत होती है, जिसे चित्र-पटल (रटिना) कहते हैं। इसी परत यानी पर्दे पर बाहर की प्रत्येक वस्तु का चित्र खिंचकर मस्तिष्क में पहुंचता है। प्रायः दूसरी परत की सूजन से आंख में तीव्र दर्द होता है। इस दर्द को दूर करने की औषधियां निम्नलिखित हैं —

फाइटोलैक्का 3 — आंख के पपोटे बड़े कड़े और सख्त हो जाते हैं, उनमें सूजन आ जाती है, भीतर पसे भर जाता है। रोगी को ऐसा लगता है मानो आंख में रेत का कोई कण गिर कर खड़क रहा है। आंख से निरंतर पानी निकलता रहता है। रोगी को बहुत पीड़ा होती है।

हिपर सल्फर 30, 200 — जब आंख की दूसरी परत में पस बन जाए, जैसे घाव के पक जाने पर बन जाती है; आंख को छुआ न जा सके, आंख में बहुत दर्द और पीड़ा हो, टपकन-सी हो, गरम सेक से रोगी को आराम मिले, तब दें।

ट्युबर्म्युलीनम 200 — यदि उक्त औषधियों से लाभ न हो, तो दस-पन्द्रह दिन में एक बार इस औषधि को अन्य औषधियों के बीच में आभ्यंतर (इंटरकरेंट) के रूप में दें। इसे अधिक समय तक नहीं देना चाहिए। दो-तीन महीने में चार-पांच बार देकर देना बंद कर दें।

पुनस स्पाइनोजा 3, 6 — बाईं आंख में एकाएक दर्द उठता है, ऐसा दर्द मानों आंख फूट जाएगी। आंख से पानी निकलने पर राहत मिलती है। आंख में दर्द के साथ-साथ उस तरफ की कनपटी में भी दर्द हो जाता है। आंख के दाहिने गोलक में ऐसा दर्द होना मानो आंख फट पड़ेगी; आंख का यह दर्द विद्युत के समान मस्तिष्क से गुजर कर गुद्दी की तरफ जाता है। तब इसे दें।

ऑरम मेटैलिकम 30 — आंख में ऊपर से नीचे की तरफ दबाव होने के साथ दर्द, या आंख के अंदर से बाहर की तरफ जाने वाला दर्द। आंख के गोलक की हड्डियों के चारों ओर तेज दर्द। यह दर्द स्पर्श से तथा रोशनी की वजह से बढ़ जाता है, जब ये दोनों सहन नहीं होते, ऐसे में इसे दें।

मर्क कोर 6 — आंख के चारों तरफ अत्यधिक वेदना, बेहद दर्द। इस दर्द में दूसरी परत का शोथ होने के साथ आंख के उपतारा (आइरिस) में भी दर्द होता है। इसमें यह औषधि उपयोगी है।

फास्फोरस 30 — आंख की भीतरी सूजन के साथ यदि रोगी को रोशनी भी बर्दाश्त न हो और बाहरी पदार्थ भिन्न-भिन्न शक्लों और भिन्न-भिन्न रंगों में दिखने लगें, रंगों में भी लाल रंग की प्रधानता हो, आंख के सामने काले-काले मच्छर से उड़ते दिखाई दें, तब इस औषधि का प्रयोग करने से अत्यधिक लाभ होता है।

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