नया स्वरयंत्र का प्रदाह का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Acute Laryngitis ]

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कितनी ही बार यह रोग नई सर्दी के लक्षणों के साथ उत्पन्न होता है। इसका प्रधान लक्षण है गल-नली का सूखापन और संकोचन। इसमें बहुत अधिक मात्रा में गाढ़ा, पका, पीले रंग का कफ निकलता है; थोड़ा ज्वर रहता है। शरीर की त्वचा सूखी और नाड़ी तेज रहती है, साथ ही प्यास और कब्ज आदि कितने ही लक्षण मौजूद रहते हैं।

एकोनाइट 3x, 30 — इस औषधि को स्वरयंत्र के प्रदाह में मुख्य माना जाता है। इस औषधि की खांसी में दर्द और श्वास-कष्ट का केंद्र स्वरयंत्र ही होता है। इसमें प्रदाह (शोथ) हो जाने पर ही खांसी का आक्रमण होता है। इस स्थान पर खरखराहट-सी होती है; बेचैनी और परेशानी के साथ ज्वर भी हो जाता है। कष्ट के आरंभ में 3x शक्ति में आधा-आधा घंटे के अंतर से यह औषधि देनी चाहिए। जब लाभ दिखाई दे, तो 30 शक्ति में औषध देनी चाहिए।

हिपर सल्फर 3 — जब कफ ढीला पड़ जाए, किंतु गले में पड़ा ही रहे, तब इसे देने से लाभ होता है। इसे 3 शक्ति में हर दो घंटे के अंतर से दें।

कैलि बाईक्रोम 3x, 30, 200 — यदि गाढ़ा, सूत की तरह का, गोंद जैसा पीला कफ निकल, जिसे निकालना बहुत मुश्किल हो, तो 3x या 30 शक्ति की यह औषधि आधे-आधे घंटे के बाद या 200 शक्ति की औषधि की 2-3 मात्राएं दिन में एक बार देनी चाहिए।

स्पंजिया 3 — यदि एकोनाइट देने के छह घंटे में कोई लाभ न दिखाई दे और ऐसा जान पड़े कि रोगी को काली खांसी हो गई है, गला बैठ गया है, रोगी बोलने में असमर्थ है, तो इस औषधि को आधे-आधे घंटे में प्रयोग करना चाहिए। लाभ आरंभ होते ही औषधि को देना बंद कर देना चाहिए।

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