अपस्फीत शिरा या शिरा शोथ का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Treatment For Varicose Veins ]

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इस शोथ के कारण जोड़ों में दर्द होता है, टांगें कमजोर-सी प्रतीत होती हैं, कभी-कभी इसमें बेहद जलन का अनुभव होता है। टांगों की शिराओं की सूजन को ही “शिरा-शोथ” कहते हैं। इसकी औषधियां निम्नलिखित हैं —

ग्लोनॉयन 30 — रोगी की रक्त-वाहिनियों में आवश्यकता से अधिक रक्त होता है और रक्त का दौर सिर की तरफ अधिक होने लगता है। शिराओं में अत्यधिक रक्त-संचार होने की वजह से शिरा-शोथ हो, तो इस औषधि का प्रयोग अवश्य ही करना चाहिए। यह औषधि इस रोग में बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है।

हैमेमेलिस (मूल-अर्क) 3, 6 — शिरा-शोथ की आशंका हो या शिरा-शोथ हो जाए, तब यह औषधि उपयोगी है। शिराओं पर इसका विशेष प्रभाव है। शिरा-शोथ में इसकी 8-10 बूंद को दो-दो घंटे के अंतर से एक-डेढ़ महीने तक देनी चाहिए। आधा कप पानी में दो छोटे चम्मच औषधि डालकर लोशन बनाएं और उसमें पट्टी भिगोकर शिरा-शोथ पर रखें, शीघ्र लाभ होगा।

लैकेसिस 30 — जब शिराएं एकदम बदरंगी हो जाएं, नीली पड़ जाएं, तब यह उपयोगी है।

वाइपेरा 12 — इस औषधि का चरित्रगत लक्षण है-टांगों को लटकाकर बैठने से ऐसा प्रतीत होना मानो रक्त एकत्र होकर वे फट जाएंगी, दर्द भी सहनशक्ति से बाहर होता है, ऐसा लगना कि अंग ब्लाष्ट हो जाएगा, फट जाएगा; यह औषधि इसमें शीघ्र लाभ पहुंचाती है।

फौर्मिका 6, 30 — यह औषधि मांस-पेशियों की शक्ति में वृद्धि करती है, व्यक्ति थकान का अनुभव नहीं करता और चलने-फिरने में भी शक्ति का अनुभव करता है। यदि शिरा-शोथ में रोगी को टांगों में बेहद कमजोरी लगती हो, जोड़ों में दर्द होता हो, तो यह औषधि उत्तम है।

नक्सवोमिका 30 — अत्यधिक खाने-पीने, मांस-मदिरा का अधिक प्रयोग करने से शिरा-शोथ हो जाए, तो उसमें उपयोगी है।

फ्लोरिक एसिड 30 — ऐसा शिरा-शोथ जो जाता ही न हो, विशेषकर स्त्रियों के शिरा-शोथ में इस औषधि से विशेष और शीघ्र लाभ होता है। इसका प्रयोग अवश्य ही करना चाहिए।

आर्सेनिक एल्बम 30 — यदि शिरा-शोथ में आग की-सी जलन हो, तब इसका प्रयोग करें।

पल्सेटिला 6, 30 — यह शिरा-शोथ की मुख्य औषधि है। जब शिरा-शोथ होने की आशंका हो, तब प्रतिरोधक के रूप में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

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