खांसी का इलाज होम्योपैथी में [ Homeopathic Medicine For Cough And Sore Throat ]

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खांसी क्यों उठती है? इसे समझने के लिए यह आवश्यक है कि मुख से फेफड़ों तक जो श्वास-प्रणालिका है, उसके भिन्न-भिन्न स्थानों की शोथ से खांसी होती है। मुख में तालु का हिस्सा गलकोश या फैरिंग्स कहलाता है। गलकोश के बाद श्वास-प्रणालिका आरंभ होती है, जो फेफड़ों में जाकर समाप्त हो जाती है। इस श्वास-प्रणालिका का ऊपरी हिस्सा ‘स्वर-यंत्र’ कहलाता है, जो गले के टेटुए के रूप में बाहर दिखता है। स्वर-यंत्र के बाद श्वास-प्रणालिका का जो हिस्सा आता है, वह श्वासनली कहलाती है। यह श्वासनली आगे चलकर दो भागों में विभाजित हो जाती है, जिन दोनों को वायु-नलियां कहते हैं। इनमें से एक वायु-नली दाएं फेफड़े में चली जाती है और दूसरी बाएं फेफड़े में।

फेफड़ों में जाकर ये दोनों वायु-नलियां छोटी-छोटी नलियों में बंटकर फेफड़ों में फैल जाती हैं और श्वास लेने से भरती हैं, श्वास को फेंकती हैं और फिर श्वास को भरती हैं। खांसी श्वास-प्रणालिका के किस भाग से उठ रही है, यह जानना बहुत आवश्यक है। आमतौर पर खांसी को दूसरे रोगों का लक्षण भर माना जाता है। सर्दी, न्यूमोनिया, दमा तथा क्षय आदि रोगों में खांसी का उठना स्वाभाविक है।

एकोनाइट 30, 200 – आरंभ में सर्दी लगने से यकायक खांसी का होना, खुश्क, लगातार, दम घुटता-सा प्रतीत हो, सोते हुए से जगा दे तो इसे लें ।

एण्टिम टार्ट 12 – बच्चों और बूढ़ों में वायु-नली में कफ जमने से घड़घड़ होना, ऐसा लगना कि खांसने पर बहुत-सा बलगम निकल जाएगा, मगर कुछ नहीं आता या थोड़ी मात्रा में निकलता है, वायु-नली में सूजन हो।

आर्सेनिक 30, 200 – रोगी को ठंड बर्दाश्त नहीं होती, गले में धुएं का-सा भाव होकर खांसी आना, पानी पीने के बाद खांसी का उठना, खांसी में दमे की-सी घुटन, झागदार खांसी, खांसी के साथ जुकाम का होना में लाभदायक है।

बेलाडोना 200 – खांसते-खांसते चेहरा लाल हो जाना, ऐसा लगना मानों स्वर-यंत्र में कुछ दाना-सा अटक गया है, थोड़ा-सा कफ निकल जाने पर आराम पड़ना, गले का सूख जाना और फिर खांसी उठना, खुश्क खांसी, खांसी का ऐसा जबरदस्त दौर मानो सिर फटेगा, गले में कफ को खुरचने पर खांसी का उठना, गला दुखने लगना।

ब्रायोनिया 30, 200 – ठंड और खुश्क वायु से होने वाली खांसी के लिए यह अत्यंत उपयोगी है, गहरा श्वास लेने पर छाती में दर्द (कैलि कार्ब), ठंडी वायु से गरम कमरे में आने से खांसी, खांसी से छाती में दुखन होना, सिर दर्द ऐसा मानो सिर फट जाएगा।

कैल्केरिया कार्ब 30, 200 – रोगी सर्दी और नमी को बर्दाश्त नहीं करता, ठंडी हवा भी नहीं चाहता, रात को सिर तथा गर्दन में पसीना आता है, ऐसा लगता है कि पैरों में जुराब पहने हो, सरसराहट के साथ खांसी शुरू होती है।

कॉस्टिकम 30, 200 – मामूली खांसने से कफ नहीं निकलता, रोगी गहरा खांसना चाहता है, खुश्क खांसी, गला जैसे जकड़ गया हो, कफ को गटकने की कोशिश करना।

ड्रोसेरा 12 – खांसी का दौर एक के बाद एक ऐसा आता है कि रोगी बोल नहीं सकता, गला घुटता है, छाती की सुरसुराहट से खांसी आने पर नींद से जाग उठना।

हिपर सल्फर 30, 200 – ठंड के कारण खांसी होना। (नक्स वोमिका, रसटॉक्स), खुश्क तथा ठंडी हवा से खांसी का बढ़ना, गर्म तथा तर हवा से घटना, सवेरे खांसी बढ़ना, ठंडी हवा में श्वास लेने से खांसी निकलने लगना।

इग्नेशिया 200 – रोगी जितना खांसता है, उतनी ही खांसी ज्यादा उठती है, खांसी शाम को बढ़ जाती है, खुश्क खांसी, गले में गोला-सा उठकर गला रुंधना।

इपिकाक 30, 200 – श्वास में सांय-सांय की आवाज आना, रोगी जितना खांसता है, उतनी ही खांसी ज्यादा उठती है, हर श्वास के साथ लगातार जोर की खांसी आना, उल्टी होने पर भी जी मितलाना, जिह्वा बिल्कुल साफ होना।

सिना 3x – सूखी खांसी जो कभी-कभी उठती है, नाक में जलन होती है, खांसी के कारण रोगी सो नहीं सकता, उसे उठ बैठना पड़ता है, रात में खांसी का प्रचंड रूप दिखाई देना।

सल्फर 3, 30 – आराम न होने वाली सूखी खांसी के साथ छाती का जकड़ जाना, ढीली खांसी के साथ दिन में सफेद आभा लिए कफ निकलना और रात में खांसी का ज्यादा उठना, सिर दर्द का होना।

रियुमेक्स 6 – लगातार सूखी खांसी, खांसने के समय आक्षेप, सोने पर ठंडी हवा में या रात में रोग का बढ़ना, दिन में दस-बारह बजने के समय रोग का बढ़ना, सिर से पैर तक ढक लेने से आराम मालूम होना।

मैगेनम एसोटिकम 6, 30 – सोने से खांसना कम हो जाना, संध्या के समय और तर हवा में रोग बढ़ जाता है।

कैक्कस कैक्टाई 6 – साफ सूत की तरह श्लेष्मा-भरी तेज खांसी, उपजिह्मा बड़ी, इसलिए लगातार खांसी आया करती है। सवेरे आक्षेपिक खांसी, श्वास रोकने वाली खांसी, नींद खुलते ही खांसी आना ।

मेन्था पिपरेटा 3 – सूखी खांसी, धूप या ठंडी हवा लगने, बात करने या गिरने पर खांसी बढ़ जाती है।

कोनायम 6, 30 – गले में सुरसुरी होकर सूखी खांसी, सोने, बैठने, हंसने पर रात के समय खांसी बढ़ जाती है तथा दिन में खांसी कम आती है।

स्पंजिया 3x, 6 – सीटी देने की तरह खांसी, कंठनली की सूखी खांसी, खांसने के समय दम बंद हो जाना, गला सुरसुराना, स्वरभंग।

हायोसायमस 6 – स्नायविक आक्षेप से पैदा हुई सूखी खांसी, रात में या सोने पर खांसी का बढ़ना और उठ बैठने पर खांसी का कम हो जाना। बच्चे, बूढ़े और स्त्रियों के लिए फायदेमंद है। गला कुटकुटाकर खांसी, ऐसा मालूम पड़ना कि उपजिहा खूब बड़ी हो गई है।

कैमोमिला 6 – बच्चों के दांत निकलते समय की खांसी, गला घर-घर करना, बच्चे का चिड़चिड़ा मिजाज होना।

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