NUX VOMICA Uses, Benefits, Cures, Side Effects In Hindi

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नक्स वोमिका (Nux Vomica)

(पायजन-नट)

यह सबसे बड़ी बहुलक्षणीय औषधि है, क्योंकि इसके अधिकांश लक्षण शरीर के अनेक साधारण रोगों में मिलते हैं जो सदा होते रहते हैं । अन्य औषधियों के अधिक निष्फल प्रयोग के बाद यह प्रायः पहली औषधि है जो शरीर में संतुलन स्थापित करती है और जीर्ण दुष्प्रभावों का नाश करती है ।

नक्सआधुनिक जीवन की बाधाओं के लिए उत्तम औषधि है । नक्स का आदर्श रोगी दुर्बल-पतला, तेज, फुर्तीला, स्नायविक और चिड़चिड़ा होता है । यह अधिक मानसिक काम करता है, मानसिक परिश्रम से लदा रहता है, अधिक व्यायाम नहीं करता, बैठा ही रहकर सब काम करता है, देर तक दफ्तर में काम करता है, अध्ययन में अत्यधिक समय व्यतीत करता है, काम-काज में लीन रहता है, वह घरेलू जीवन और मानसिक परिश्रम के लिए स्फूर्तिदायक पदार्थ चाहता है । जैसे-कॉफी, मदिरा प्रायः अधिक मात्रा में । या तो वह अपनी उत्तेजना को तम्बाकू के शान्तिप्रद प्रभाव से शान्त करता है, या अफीम इत्यादि का शिकार बन जाता है । उन वस्तुओं के साथ और भी चेष्टाएँ बढ़ जाती हैं । भोजन के समय मसालेदार और उत्तेजक चीजों की इच्छा, मदिरा और सुन्दरी इसमें मुख्य काम करती हैं, ताकि वह व्यावसायिक चिन्ता को भूल जाए । देर तक जागना । इसका परिणाम होता है कि सिर में मन्दता, मन्दाग्नि, चिड़चिड़ापन । ये सभी दूसरे दिन के लिए उपस्थित हो जाते हैं । अब वह मल — उत्सर्जक के रूप में कोई चीज लेने लगता है, जिगर की टिकियाँ, खनिज जल और जल्द ही इन चीजों की आदत पड़ जाती है और थे उसके शरीर को और भी जटिल बना देती हैं । चूँकि ये सब जीवन की हानिकारक क्रियाएँ स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में अधिकांश पाई जाती हैं इसलिए नक्स प्रायः पुरुषों की औषधि कहलाती है । इस प्रकार के जीवन से चिड़चिड़ापन और स्नायविकता उत्पन्न होती है, अति उत्तेजनीयता और संवेदनीयता जो नक्स के व्यवहार के बहुत कुछ शान्त होगी । खासकर पाचन की गड़बड़ी, यकृत शिरा रक्ताधिक्य और उस पर निर्धारित विषाद । चेतनायुक्त आक्षेप, स्पर्श से, हरकत से अधिक । ईर्ष्यालु, उत्तेजित प्रकृति । नक्स के रोगी को जल्दी सर्दी लग जाती है, खुली हवा इत्यादि से घृणा करते हैं नक्स सदा बदमिजाज रहता है, बेताल, आक्षेपिक क्रिया ।

मन — अति चिड़चिड़ा, सभी संवेदनाओं से अति प्रभावित । भद्दा दुष्ट, आवाज, गन्ध, प्रकाश इत्यादि सहन न हो । स्पर्श से घृणा, समय धीरे व्यतीत हो । जरा-सा रोग अधिक कष्ट दे । दूसरों को धिक्कारने की प्रवृत्ति । उद्विग्न, कसूर निकालना ।

सिर — सिर के पिछले भाग में या आँखों के ऊपर दर्द, साथ में चक्कर, मस्तिष्क चक्कर खाता जान पड़े । प्रचण्ड उत्तेजना । क्षणिक अचेतनता के साथ चक्कर आना, नशे की अवस्था, सुबह की, मानसिक परिश्रम से, तम्बाकू, मदिरा, कॉफी, खुली हवा से बढ़ना । सिर पर दाब, कील ठोंकने की तरह । सुबह को और भोजन करने के बाद चक्कर आना । सिर की खाल कोमल । सिर में दर्द, सिर को किसी कड़ी चीज से दबाने की इच्छा के साथ प्रदाहिक सिर दर्द जो बवासीर से सम्बन्धित हो । धूप में सिर दर्द करें (ग्लोने., नैट कार्बो) । मैथुन के बाद सिर फैला हुआ और सन्तापपूर्ण मालूम हो ।

आँखें — प्रकाशांतक, सुबह को अधिक । भीतरी किनारों में छरछराहट, सूखने का संवेदन, घेरों के निचले भाग में स्नायुशूल, आँखों से पानी बहने के साथ । नशीली चीजों की आदत के कारण दृष्टि स्नायु की क्षीणता, दृष्टि-पेशियों का आंशिक पक्षाघात, तम्बाकू या अन्य उत्तेजक वस्तुओं से अधिक हो । घेरों की फड़कन, जो सिर के पिछले भाग तक फैले । दृष्टि-नाड़ी प्रदाह ।

कान — कण्ठकर्णी नली में से कानों में खुजली । कान की नली सूखी और उत्तेजित । कर्णशूल, बिस्तर में अधिक हो । कर्ण-स्नायु की अधिक उत्तेजना, जोकि आवाज दर्द वाली मालूम दे और क्रोधित करें ।

नाक — ठण्डी मालूम दे, खासकर रात में । बन्द जुकाम, नाक से साँस न आए, सूखे ठण्डे वातावरण में, गरम कमरे में अधिक हो । गन्ध से गशी की सम्भावना । जुकाम, दिन में बहे, रात में और बाहर जाने के बाद बन्द हो या एक दूसरे नथुनों में बदला करें । सुबह को नकसीर आए । (ब्रायो.) । तेजाबी स्राव, लेकिन नाक बन्द रहे ।

मुँह — जबड़े सिकुड़े हुए । छोटे मुखक्षत, खूनी लार के साथ । जुबान का पहला आधा भाग साफ, पिछला आधा भाग गहरे मैल से ढँका हो, सफेद पीला चिटके किनारे । दाँतों में दर्द ठण्डी चीज से बढ़े । मसूढ़े सूजे हुए सफेद और उसमें खून बने ।

गला — खुरदुरा, खुरचन संवेदन । सुबह जागने पर, गुदगुदी, खुरखुराहट का संवेदन, कसाव और तनाव । गलकोष सिकुड़ा हुआ । कान सूजा हुआ कानों में चिलकन ।

आमाशय — खट्टा स्वाद और सुबह को मिचली, खाने के बाद । पेट में बोझ और दर्द, खाने के कुछ देर बाद अधिक हो । वादी और मुँह में पानी आना । खट्टी कड़वी डकार मिचली और कै, अधिक मरोड़ के साथ, प्रचण्ड भूख, खासकर मन्दाग्नि के हमले से प्रायः एक दिन पहले आमाशय का क्षेत्र दाब सहन न करें (ब्रायो, आर्से.), कौड़ी प्रदेश फूला हुआ, पत्थर जैसी दाब खाने के कुछ घण्टों बाद । उत्तेजक वस्तुओं की इच्छा । स्निग्ध चीजों से प्रेम और वे सहन भी हों (पल्स इसका उल्टा है) । कड़ी कॉफी पीने से आया अनपच । वायु-स्खलन कठिन । कै करना चाहे मगर कै न हो ।

उदर — उदर की दीवारों में कुचले जाने जैसा दर्द (एपिस, सल्फ) । पेट फूलना, आक्षेपिक शूल के साथ । कपड़ा उतारने से शूल हो । जिगर कसा हुआ, चिलकन और सन्ताप के साथ । शूल ऊपर की तरफ दाब के साथ, जिससे छोटी साँस आए और पाखाना मालूम हो । उदर परिधि में कमजोरी । फँसी हुई आंत्र-वृद्धि (ओपि.) । उदर के निचले भाग में जननेन्द्रिय की तरफ कमजोरी । छोटे बच्चों की जाँघ की जड़ में आँत उतरना ।

मल — कब्ज, साथ में अक्सर असफल वेग । अपूर्ण और असन्तोषजनक, ऐसा लगे कि कुछ भाग भीतर ही रह गया है । मलाशय का सिकुड़ना । घड़ी-घड़ी मल त्यागने की इच्छा जो असफल हो या हर चेष्टा पर बहुत थोड़ा-सा मल निकले । मल त्यागने की इच्छा का पूर्ण अभाव औषधि की विपरीत अवस्था दर्शाती है । कब्ज और दस्त बारी-बारी, जुलाब की दवा के दुरुपयोग से पूरे उदर में मल त्याग की इच्छा मालूम पड़े । खाज वाली अस्राविक बवासीर, असफल मल त्याग इच्छा के साथ, अधिक दर्द, तेज औषधियों के बाद । अति मैथुन के बाद, सुबह को अधिक हो । बार-बार, थोड़ा मल त्यागे । अधिक वेग के साथ थोड़ा मल । पेचिश, मल त्यागने से कुछ समय के लिए कम हो, मलाशय में लगातार असुविधा । कामला रोग के साथ दस्त (डिजि.) ।

मूत्र — उत्तेजित मूत्राशय, संकोचक पेशी के आक्षेप के कारण बार-बार थोड़ा-थोड़ा पेशाब निकलना । खूनी पेशाब (इपिका, टेरेबि) । असफल इच्छा, आक्षेपिक और रुकने के साथ पेशाब बूंद-बूंद, चूने के साथ गुर्दा शूल जो जननेन्द्रिय तक बढ़े । पेशाब करते समय मूत्रमार्ग में खुजली भड़क उठे और मूत्राशय की गरदन में दर्द हो ।

पुरुष — सरल उत्तेजन, काम इच्छा यों ही भड़क उठे । आरामतलब जीवन बिताने के कारण वीर्य-स्खलन । अधिक मैथुन के दुष्प्रभाव । अण्ड में संकुचन का दर्द । अण्ड प्रदाह । (हेमा. पल्से) । धातुक्षीणता, स्वप्न के साथ, पीठ पीड़ा, रीढ़ में जलन, कमजोरी और चिड़चिड़ापन ।

स्त्री — मासिकधर्म के समय से बहुत पहले हो, देर तक रहे, सदा क्रमभ्रष्ट काला खून (साइक्लै., लैके., पल्से) । गशी के दौरे के साथ । गर्भाशय का बाहर निकलना । दर्द वाला मासिक धर्म । त्रिकास्थि में दर्द के साथ और लगातार मल त्यागने की इच्छा । प्रसव वेदना अपर्याप्त, मलाशय तक बढ़े, मल — त्याग इच्छा के साथ और घड़ी-घड़ी पेशाब मालूम हो । (लिलि.) । मैथुन इच्छा प्रबल । गर्भाशय से अधिक रक्तस्राव, साथ में पाखाना मालूम हो ।

साँस-यन्त्र — नजले के कारण खरखरी । गले में छिलने जैसे संवेदन के साथ । आक्षेपिक संकुचन । दमा, आमाशय में अफरा, सुबह या खाने के बाद । खाँसी, ऐसा संवेदन जैसे सीने के अन्दर कोई चीज फट कर अलग हो गई हो । छिछली साँस । संकुचित साँस, कसी, सूखी, कष्टकर खाँसी कभी-कभी खूनी बलगम के साथ । खाँसने के साथ फटने जैसा, सिर दर्द शुरू हो और कौड़ी प्रदेश में कुचलने जैसा संवेदन ।

पीठ — कटि प्रदेश में पीठ दर्द । रीढ़ में फटन, 3 से 4 बजे सुबह अधिक हो । गरदन-बाँह क्षेत्र में स्नायुशूल, छूने से अधिक हो । बिस्तर में करवट लेने के लिए बैठना पड़े । कंधास्थि के नीचे कुचले जाने जैसा दर्द । बैठना लाभदायक हो ।

अंग — बाँह और हाथ सो जाएँ । आघात के कारण बाँहों का आंशिक पक्षाघात । टाँगें सुन्न, लकवा जैसा लगे, टखनों और तलवों में ऐंठन । आंशिक पक्षाघात, अधिक परिश्रम से या भीगने से (रस) । हिलाते समय घुटनों के जोड़ में छटपटाहट हो । टहलते समय टाँगें घसीटकर चले । सुबह के समय बाँहों और टाँगों में शक्तिहीनता का संवेदन ।

नींद — 3 बजे भोर से सुबह तक नींद न आए, फिर अप्रफुल्लित भाव जाग उठे । भोजन करने के बाद और शाम को औंघाई आना । कौतूहल और जल्दीबाजी के स्वप्न । कुछ देर सो जाने के बाद आराम मिले, अगर बीच ही में जगाया न जाये ।

चर्म — पूरा शरीर जलता हो, खासकर चेहरा तब भी बिना सर्दी के हिल न सके या कपड़ा हटा सके । आमाशयिक खराबी के साथ पित्त । मुँहासे, चर्म लाल और चकत्तेदार ।

ज्वर — ठंडी अवस्था प्रबल । सुबह के समय आक्रमण की संभावना । अधिक कम्प, अँगुलियों की नाखूनों के नीलापन के साथ । अंगों और पीठ में टीस, आमाशयिक लक्षण, शीत-ज्वर की सभी अवस्थाओं में कपड़ा ओढ़े रहे । खट्टा पसीना, शरीर के एक ही तरफ । कपड़ा हटाने पर सर्दी लगे, फिर भी कपड़ा ओढ़ना न चाहे । शरीर की सूखी गरमी ।

घटना-बढ़ना — बढ़ना-सुबह को, मानसिक परिश्रम, खाने के बाद स्पर्श, गरम मसाला, उत्तेजक पदार्थ, मादक पदार्थ, सूखा मौसम, ठंडक । घटना : झपकी लेने के बाद अगर बीच में छेड़ा न जाए, शाम को, आराम के समय, तरी में, तर मौसम में (कॉस्टि), कड़े दाब से ।

सम्बन्ध — नक्स में ताँबा होता है, दोनों की मरोड़ पैदा करने वाली प्रवृत्ति पर ध्यान देना चाहिए ।

पूरक — सल्फ., सीपिया

विपरीतजिंकम ।

तुलना कीजिए : — स्ट्रिकनिया : कैलि कार्बो, हाइड्रै, ब्रायो, लाइको, ग्रेफा

क्रियानाशक — कॉफिया., इग्ने., काकुलस

मात्रा — 1 से 30 शक्ति और उससे ऊँची शक्तियाँ । कहा जाता है कि रात को सोते समय देने से नक्स अच्छा काम करती है ।

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