Padanguli, Padatal, Padaprishth and Gulpha Shaktivardhak/Vikasak Kriya Method In Hindi

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पादांगुली, पादतल, पादपृष्ठ एवं गुल्फ शक्तिवर्धक/विकासक क्रिया

विशेष: सूक्ष्म व्यायाम में हमने यही क्रिया खड़े होकर की थी। इसे बैठकर भी कर सकते हैं। जो कि लगभग सभी योग केंद्रों में कराई जाती है।

अभ्यास क्रम: 1

बैठ जाएँ। सामने की तरफ़ पैरों को लंबा करें। थोड़ा सा पीछे झुकते हुए हाथों को अगल-बगल में नितंबों के पीछे ज़मीन पर रख दें। मेरुदंड, ग्रीवा व सिर को झुकने न दें एवं कुहनियाँ भी न मोड़े और मन को तनाव मुक्त रखें। पूरा ध्यान पैरों की अँगुलियों पर रखते हुए दसों अँगुलियों को आगे झुकाएँ, फिर पीछे झुकाएँ।
श्वासक्रम/समय: अँगुलियाँ आगे झुकाते समय श्वास छोड़े। अपनी तरफ़ करते समय श्वास लें। 10 से 15 बार आगे-पीछे करें।

अभ्यास क्रम: 2

अब पैरों के पंजों को टखनों के जोड़ों से आगे की तरफ़ इतना झुकाएँ कि वे ज़मीन को स्पर्श करने लगे। जितना अधिक से अधिक झुका सकते हैं, झुकाएँ। पूरे पंजे को वापस अपनी तरफ़ जितना मोड़ सकते हैं, मोड़ने का प्रयास करें।
श्वासक्रम/समय: अँगुलियाँ एवं पैरों के पंजे पीछे की तरफ़ झुकाते समय श्वास लें एवं वापस आगे की तरफ़ मोड़ते हुए श्वास छोड़े। 10 से 15 बार यही क्रम दोहराएँ।

अभ्यास क्रम: 3

अब दोनों पैरों के बीच थोड़ा अंतर कर उन्हें दूर कर दें। पहले दाहिने पैर से अभ्यास करें। दाहिने पैर के पंजे को टखने से वृत्ताकार घुमाना है। अतः बाएँ तरफ़ 10 से 15 बार घुमाएँ। दाएँ से बाएँ तरफ़ 10 से 15 बार घुमाएँ। यही अभ्यास बाएँ पैर से करें। अब दोनों पंजों को मिलाकर उपरोक्त अभ्यास करें।
इसी क्रम में अब दोनों पैरों में कुछ फ़ासला रखें और एक पैर को बाएँ से दाएँ तो दूसरे पैर को दाएँ से बाएँ वृत्ताकार घुमाएँ। अब यही क्रम दुसरी दिशा में भी करें। इस प्रकार से घुमाने पर आपस में दोनों पैरों के अंगूठे वृत्त पूरा होने पर एक-दूसरे को स्पर्श करते हैं।
श्वासक्रम/समय: पंजों को ऊपर लाते समय श्वास लें और नीचे की तरफ़ जाते समय श्वास छोड़ें। उपरोक्त सभी क्रियाएँ 10 से 15 बार समान रूप से करनी चाहिए।

अभ्यास क्रम: 4

पंजों को वृत्ताकार बनाने के लिए इस प्रकार से भी अभ्यास कर सकते हैं। एक पैर लंबवत् कर दूसरे पैर के पंजे को पहले पैर की जंघा पर ऐसा रखें कि गुल्फ बाहर की तरफ़ आ जाएँ। अब एक हाथ से टखने को पकड़कर दूसरे हाथ से अँगुलियाँ पकड़ लें। पहले दाएँ से बाएँ फिर बाएँ से दाएँ 10 से 15 बार वृत्ताकार घुमाएँ। यही अभ्यास दूसरे पैर से करें।
श्वासक्रम/समय: अभ्यासक्रम: तीन के अनुसार।

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