Pashinee Mudra Method and Benefits In Hindi
पाशिनी मुद्रा
कण्ठपृष्ठे क्षिपेत्पादौ पाशवद् दृढ़बन्धनम्।
सा एव पाशिनी मुद्रा शक्ति प्रबोधकारिणी॥
पाशिनी महती मुद्रा वय:पुष्टि विधायिनी।
साधनीया प्रयत्नेन साधकैः सिद्धिकांक्षिभिः॥ (घे.सं. 3/84-85)
विधि
दोनों पैरों को उठाकर गले के पीछे से लाते हुए उन्हें आपस में पाश के समान दृढ़ता से बाँध लें। कुण्डलिनी को जगाने वाली यह पाशिनी मुद्रा है।
विशेष: योग्य शिक्षक की देख-रेख में करें।
ध्यान: विशुद्धि चक्र या मूलाधार चक्र।
लाभ
- बलवर्द्धक है। शरीर पुष्ट होता है।
- सिद्धि प्रदाता है। अष्ट सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
- मानसिक शांति एवं प्रसन्नता रहती है।
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