Uttana Dvijanu Sanchalan Kriya Method and Benefits In Hindi

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उत्तान द्विजानु संचालन क्रिया

यह उत्तान जानु संचालन क्रिया की तरह ही है, परंतु इसमें दोनों पैरों से एक साथ करना होता है।

  • सामने की तरफ़ पैर फैलाकर बैठे। पैरों को समानांतर चिपकाकर रखें। दोनों हाथों को नितंबों के अगल-बगल में पीछे रखें, अब दोनों पैरों को घुटने से मोड़ते हुए सीने से स्पर्श कराना है। इसके पश्चात दोनों पैरों को एक साथ ऊपर की तरफ़ लंबवत कर दें और वापस ज़मीन पर रख दें। यही क्रिया 10 बार करें।
  • इस क्रिया में दोनों पैरों को पहले ज़मीन से ऊपर उठाएँ। तत्पश्चात घुटनों से मोड़ते हुए छाती से स्पर्श कराएँ और वापस ज़मीन पर रख दें। 10 बार यही क्रिया को दुहराएँ।

श्वासक्रम: पैर को मोड़ते समय श्वास बाहर निकालें एवं पैर ऊपर की तरफ़ सीधे करते समय श्वास लें।
सावधानियाँ: तीव्र कमर दर्द, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप वाले विवेक पूर्वक करें।

लाभ

  • घुटनों के समस्त विकार दूर होते हैं। कमर दर्द व नितंबों का दर्द स्थायी रूप से मिट जाता है।
  • पैरों का कंपवात वाला रोग नहीं हो पाता।
  • क़ब्ज़, मंदाग्नि दूर होकर भूख बढ़ती है।
  • पेट की चर्बी कम होती है।

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