BARYTA MURIATICA Uses and Side Effects In Hindi

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बैराइटा म्यूरियेटिका (Baryta Mur.)

(बैरियम क्लोराइड)

वृद्धों तथा शारीरिक और मानसिक दृष्टि से अविकसित व्यक्तियों के कष्टों में बैराइटा के भिन्न-भिन्न लक्षणों की आवश्यकता होती है । इस अवस्था में धमनी का ऐसा कड़ापन आना जो उपर्युक्त ढंग का हो । बूढ़े लोगों का सिर दर्द मगर बिना चरम सीमा पर पहुँचे, जबकि इसका कारण मस्तिष्क में रक्त की कमी हो । चक्कर और कानों में आवाजें आना । निचली आँतों पर भी काम करती है, खासकर मलांत्र पर, पेशियों और जोड़ों पर । अधिक चलने जैसा कड़ापन और कमजोरी । सफेद रक्त कण बढ़ें । अधिक तनाव और रक्त-नलियों का आकर्षण । नाड़ी की गति से तनाव । धमनी का कड़ापन (आरम, सिकेलि । )

इस औषधि को खाते ही दिल के छेदों में कड़ापन और सिकुड़न तथा पेट की कौड़ी प्रदेश में कोमलपन आता है, जोकि बार-बार सत्य सिद्ध हुआ है, इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग धमनी अर्बुद और जीर्ण तालुमूल की वृद्धि में भी होता है । स्त्रियों में और पुरुषों में अत्यधिक कामोन्मद, अकड़न । सभी तरह का पागलपन जबकि काम-इच्छा अधिक हो । शरीर की बर्फ जैसी ठंडक, पक्षाघात के साथ । मस्तिष्क और रीढ़ का अपकर्ष । पेशियों की ऐच्छिक शक्ति नष्ट हो जाती है, मगर पूर्ण चेतना बनी रहती है । इन्फ्लुऐंजा और गले में झिल्ली आने के प्रदाह के बाद आंशिक पक्षाघात । सुबह की सुस्ती, खासकर टाँगों में कमजोरी पेशियों के तनाव के साथ । बच्चे जो मुँह खोले रहते हैं और नाक से बोलते हैं । मन्दबुद्धि दिखाई दें और ऊँचे सुनें ।

नाक — सनसनाहट, भनभनाहट । चबाने, निगलने और छींकने पर आवाजें सुनाई दें ।

कान — दर्द ठंडा पानी धीरे-धीरे पीते समय रहे । कान की ग्रन्थि सूजी हुई । घृणित स्राव । नाक छिनकने से कान के निचले भाग में हवा भरे ।

गला — निगलना कठिन । तालुमूल बढ़े हुए । गलकोष और कलकर्णनली का आंशिक लकवा, छींकने और आवाजों के साथ । नलियाँ बहुत अधिक खुली मालूम पड़ें ।

श्वास-यन्त्र — वृद्ध लोगों के वायुनलिका समूह रोग, इसके साथ दिल का बढ़ जाना । यह दवा बलगम बाहर निकलती है । अधिक श्लेष्मा जमा होना और लड़खड़ाना और कष्ट से निकालना । फुफ्फुस की धमनी का कड़ापन । यह दवा दमा रोग और धमनी के तनाव को कम करती है ।

आमाशय — पेट के अगले ऊपरी भाग का सुन्न होना इस दवा का पुराने रोगों में एक सांकेतिक लक्षण है । मिचली और कै, गरमी की संवेदना जो सिर में चढ़े ।

मूत्र — यूरिक एसिड का अधिक होना, क्लोराइड का कम पड़ना ।

उदर — थरथराहट (सेलिसि.) । क्लोम प्रणाली का कड़ापन, उदर का अर्बुद । वंक्षणीय ग्रन्थि की सूजन ।

मलान्त्र में खिंचाव-सा दर्द ।

सम्बन्ध — अंगों के कड़ा पड़ने में, खासकर रीढ़ की डोरी, जिगर और दिल में तुलना कीजिए, प्लम्बम मेट और प्लम्बम आयोड, और आरम मेट भी । (जोकि कड़ापन में और दूसरी दवाओं से अधिक लाभ करेगी । ) कई जगहों का कड़ापन, वज्रपात जैसी पीड़ा, कम्प, अंगुलियों का फैलाना । )

मात्रा — 3 विचूर्ण, दोहराना अच्छा है ।

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