Gyan Mudra Method and Benefits In Hindi

448

ज्ञान मुद्रा

यह मुद्रा बहुत ज्यादा प्रचलित है। दिखने में साधारण और प्रभाव में अत्यधिक लाभ देने वाली है।
पद्मासन, अर्द्ध पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन जैसे किसी भी आसन में बैठ जाएँ एवं हाथों को घुटनों पर रखकर तर्जनी अँगुली के अग्रभाग को अँगुष्ठ के अग्रभाग से स्पर्श कराएँ। बाक़ी अँगुली खुली हुई लंबवत् ही रहेंगी। यदि हथेली का मुख आकाश की तरफ़ करते हैं तो यह चिन मुद्रा कहलाती है और यदि ज़मीन की तरफ़ करते हैं तो वह ज्ञान मुद्रा कहलाती है। (आजकल कुछ लोग चलते-फिरते, उठते-बैठते टी.वी. वगैरह देखते हुए भी ज्ञान मुद्रा को बनाकर रखते हैं।)
साधक को जब भी समय मिले यह मुद्रा अवश्य लगानी चाहिए। इस मुद्रा के लगातार अभ्यास करने से कई मानसिक बीमारियाँ भी ठीक होती देखी गई हैं। कई शारीरिक बीमारियाँ जैसे नींद न आना, उन्माद, मिर्गी, पागलपन, चिड़चिड़ापन, आवेश, क्रोध, स्मरण शक्ति क्षीण होना आदि में भी लाभदायक है।
कुछ साधक ज्ञान मुद्रा लगाकर ध्यान की अवस्था में बैठकर तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) का विकास करते हैं। इस प्रकार हम मुद्रा को निरंतर अभ्यास में लाकर कई प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

Comments are closed.