Hast Mudra Vigyan Method and Benefits In Hindi

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हस्त मुद्रा विज्ञान

हमारा शरीर अनंत रहस्यों का भण्डार है। अभी हमें जो विद्याएँ ज्ञात हैं वे उन कैवल्य ज्ञानी परमात्माओं द्वारा प्रदत्त ज्ञान का एक प्रतिशत भी नहीं हैं। यदि हमें उन्हीं एक प्रतिशत का कुछ भाग ज्ञात हो जाए तो हम ज्ञानमद से चूर हो जाते हैं। और कई बार हमें ज्ञान का अपच हो जाता है। इन्हीं अपचों को दूर करने के लिए हमें पौराणिक काल से महर्षियों ने कई सिद्धांत प्रतिपादित किए, कई प्रकार की वैज्ञानिक कलाएँ सिखाईं। वे प्राचीन वैज्ञानिक कलाएँ आज कई रूप में विद्यमान हैं। उन्हीं में से एक है हस्त मुद्रा विज्ञान। हम इन मुद्राओं के द्वारा शरीर से बाहर जाने वाली शक्तियों को अपने अंदर वापस आत्मसात् कर उन्हें एकत्रित कर उसका बहुआयामी लाभ उठा सकते हैं। वैसे भी हमारा शरीर प्रकृति के पाँच तत्वों से मिलकर बना है। कदाचित् कोई तत्व कम या ज्यादा होता है तो हमारा शरीर कई प्रकार के रोगों से ग्रसित हो जाता है। उन्हीं तत्वों को नियंत्रित करने के लिए हस्त- मुद्राओं का उपयोग करना सिखाया जाता रहा है। इनके अलावा हमारे शरीर में प्रतीत होने वाली कई अनजान घटनाओं को भी इन्हीं हस्त मुद्राओं का अवलंबन लेकर हम शारीरिक, मानसिक तथा सूक्ष्म शक्तियों का लाभ उठाकर आत्मउत्थान कर सकते हैं।
हमारे हाथ की पाँचों अँगुलियाँ हमें पाँच तत्वों की तरफ़ इंगित करती हैं। अँगूठा – अग्नि तत्व को, तर्जनी अँगुली- वायु तत्व को, मध्यमा (बीच की अँगुली) – आकाश तत्व को, अनामिका – पृथ्वी तत्व को और कनिष्ठा अँगुली – जल तत्व को इंगित करती है। इन्हीं पाँचों अँगुलियों से हमारे शरीर में आई किसी प्रकृतिस्थ विकृति को मुद्राओं के द्वारा इन तत्वों को सम कर हम स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकते हैं।
किसी भी अँगुली के अग्र भाग को यदि अँगूठे से मिलाते हैं तो उस अँगुली से सम्बंधित तत्व में आधी विकृति सम हो जाती है। यदि अँगूठे को किसी भी अँगुली के मूल भाग से मिला दें तो उस अँगुली से सम्बंधित तत्व बढ़ने लगते हैं। यदि किसी अँगुली के अग्रभाग को अंगुष्ठ के प्रथम पोर की गद्दी से दबाते हैं तो उससे सम्बंधित तत्व घटने लगते हैं।
इस प्रकार हम कई बीमारियों को, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, इन मुद्राओं का प्रयोग करके अहिंसात्मक लाभ उठा सकते हैं। अतः हम उन कई मुद्राओं में से प्रमुख मुद्राओं का वर्णन करते हैं।

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