तरुण योनि शोथ का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Acute Vaginitis ]

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योनि में खुजली हो, मूत्र-विसर्जन के समय कष्ट होता हो, जाड़े के समय ज्वर; कम व उरु और नितंब में भार मालूम होना और दर्द का रहना; योनि से श्लेष्मा निकलना, मूत्र-कृच्छता आदि तरुण योनि-प्रदाह के लक्षण हैं।

आर्निका 200 — यदि योनि का प्रदाह योनि में चोट लगने या प्रसव के बाद की अथवा बलात्कार की चोट के बाद हुआ है, तो यह औषधि उसमें लाभ करती है। रोगिणी के शरीर की अवस्था को देखकर औषधि-शक्ति की मात्रा का निर्धारण करना अच्छा रहता है।

कैथरिस 6 — यदि मूत्र-त्याग करते हुए तेज जलन महसूस हो और योनि-प्रदाह भी तरुणावस्था में हो, तो यह औषधि उपयोगी है।

एकोनाइट 30 — यदि ठंड लगने से प्रदाह हो या योनि में सर्दी बैठ जाने से यह रोग हुआ है, तो यह इस औषधि से शीघ्र लाभ हो जाता है।

सिपिया 200 — प्रमेह के कारण योनि-प्रदाह होने पर दें।

मर्क सोल 30 — जब रोगिणी को एकोनाइट से कोई लाभ होता न दिखे, तो यह औषधि देने का प्रयत्न करना चाहिए। रोगिणी को योनि में दुखन महसूस होती है, खुजली और जलन होती है, मूत्र-त्याग की बार-बार हाजत होती है, योनि में प्रदाह हो जाता है, तब उपयोगी है।

योनि के जीर्ण-प्रदाह में निम्नलिखित औषधियां प्रयोग करें —

बोरेक्स 2x — योनि से बहुत अधिक पस निकलने पर प्रयोग करें।

नाइट्रिक एसिड 6 — यदि रोगी स्त्री ने पारे की औषधियों का अधिक प्रयोग किया है, जिस कारण योनि-प्रदाह हुआ है अथवा योनि से अधिक मात्रा में पस निकले, घाव हो जाएं, फुसियां हो जाएं, तब इस औषधि का प्रयोग करना आवश्यक हो जाता है।

सिपिया 2x — यह औषधि जीर्ण योनि-प्रदाह में विशेष उपयोगी है।

मर्क सोल 6, 30 — योनि में प्रदाह, दुखन, अंदर सब छिलता-सा प्रतीत होता है, खुजली, जलन, पेशाब का लगना आदि इसके विशेष लक्षण हैं। यह हर प्रकार के योनि-प्रदाह में लाभकारी है।

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