मूत्र न आना या अमूत्रता या मूत्राल्पता का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Anuria, Absence of Urine ]

571

मूत्राशय को “मसाना” या “ब्लेडर” भी कहते हैं। जब किसी कारण से मूत्राशय में मूत्र जमा होकर नहीं निकलता, तो इसे “मूत्र-स्तंभ” या “मूत्र-रोध” कहते हैं और यदि किडनी (गुदा) में, जिसे “मूत्रपिंड” कहते हैं में मूत्र पैदा नहीं होता, तो इसे “मूत्राभाव” या “मूत्र-नाश” कहते हैं। मूत्र-स्तंभ में तलपेट फूल उठता है और मूत्र-नाश में तलपेट नहीं फूलता; इसका कारण मूत्र का ब्लेडर में न आना है। मूत्र-रोध तथा मूत्र-नाश दोनों में ही मूत्र नहीं आता। रोगी को इससे बहुत पीड़ा होती है।

कैनेबिस सैटाइवा (मूल-अर्क) 33, 6 — यदि मूत्राशय मूत्र से भरा हुआ हो। और फिर भी मूत्रन उतरे, तो इस औषधि का प्रयोग करने से मूत्र आ जाता है और रोगी की पीड़ा मिट जाती है।

आर्सेनिक 30 — यदि कैनेबिस से कोई लाभ होता दिखाई न दे, और मूत्राशय मूत्र से भरा हुआ हो पर मूत्र न उतर रहा हो, जिस कारण जलन हो, तेज प्यास और बेचैनी हो, तो इस औषधि से लाभ हो जाता है।

स्ट्रैपोनियम 30 — यदि मूत्राभाव हो, मसाने से मूत्राशय में मूत्र न आ रहा हो, यदि मूत्राशय खाली हो, तो इस औषधि का प्रयोग करने से आशातीत लाभ होता है।

एकोनाइट 30, 200 — यदि स्त्री को बच्चे के पैदा होने के बाद मूत्र न आए अथवा सर्दी लग जाने के कारण मूत्र में रुकावट हो गई हो, तब यह औषधि दें, इससे मूत्र आ जाता है।

Comments are closed.