अकौता या त्वचाशोथ या एक्जिमा का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Atopic Dermatitis, Eczema ]

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इसे एग्जीमा, पामो या छाजन भी कहते हैं। त्वचीय रोगों में इसका नंबर पहले स्थान पर आता है। त्वचा के प्रदाह के साथ मवाद या स्राव निकलता हो, तो उसे “अकौता-रोग” कहते हैं। इसमें पहले जलन पैदा करने वाली लाल-लाल फुसियां-सी होती हैं, इन्हें खुजलाने पर ये घाव में परिणित हो जाती हैं। घाव से पीब की तरह को स्राव निकलता है। अधिक खुजलाने पर उनसे रक्त भी निकल आता है। अकौता शरीर में कहीं भी हो सकता है। मनुष्य में प्रकृतिगत जो सारा दोष है, उसके कारण इसकी उत्पत्ति होती है। अनुचित खान-पान, माता के दूध में खराबी आ जाना, स्वास्थ्य के नियमों का पालन नहीं करना और अधिक परिश्रम आदि कारणों से प्रायः यह रोग हो जाया करता है। आमतौर पर दो प्रकार का एग्जीमा हुआ करता है, तर और खुश्क। तर एग्जीमा के निमित्त औषधियां निम्नलिखित हैं —

मर्क सोल 30 — सिर पर तर फुसियां, रात को खुजली बढ़ जाती है; खुजलाने से खुजली और जलन बढ़ती है। इस एग्जीमा में दिन-रात खुजली होती रहती है, और खुजलाने से रक्त भी निकल आता है।

हाइड्रेस्टिस 30 — मस्तक के उस भाग में जहां से बाल आरंभ होते हैं, वहां के एग्जीमा में।

बैराइटा कार्ब 30 — सिर का एग्जीमा (अकौता) जिस पर छिछड़े से बन जाते हैं, इनको हटाने पर लाल, नर्म त्वचा दिखती है, जिससे पनीला स्राव निकलता है। रोगी के बाल झड़ जाते हैं।

सल्फर आयोडाइड 3x — यह औषधि भी तर एग्जीमा में लाभदायक है।

ग्रैफाइटिस 6 — खुजलाने से शहद की तरह स्राव निकलता है। यह एग्जीमा प्रायः हाथों पर, चेहरे पर, होंठों पर और कान के पीछे होता है। यह औषधि बहने वाले एग्जीमा के लिए प्रसिद्ध है। इसे दिन में दो से तीन बार तक देनी चाहिए।

बोविस्टा 3, 6 — जो स्त्रियों ऋतु-शूल से पीड़ित हों, उनके लिए यह उपयोगी है।

हिपर सल्फर 30 — त्वचा के मोड़ों पर तर एग्जीमा, खुश्क तथा ठंडी हवा से रोग की वृद्धि होती है। एग्जीमा से पुराने, सड़े पनीर जैसी गंध आती है। रोगी उसे स्पर्श नहीं करने देता।

खुश्क एग्जीमा की औषधियां निम्नलिखित हैं —

एलूमिना 3, 6, 30 — खुश्क एग्जीमा को खुजलाते-खुजलाते त्वचा छिल जाती है और इस छिलने से वहां फुसियां बन जाती हैं, यह इस औषधि का विशिष्ट लक्षण है।

मेजेरियम 30 — नाई की कैंची या उस्तरे से एग्जीमा की उत्पत्ति हो जाती है। सिर पर पपड़ी-सी जम जाती है, जिसके नीचे बदबूदार सड़ा मवाद इकट्ठा हो जाता है। इसमें कीड़े भी पड़ सकते हैं। यह औषधि सिर के एग्जीमा में विशेष उपयोगी है।

टेल्यूरियम 6, 30 — इसके एग्जीमा में रिंग की तरह गोल-गोल निशान पड़ जाते हैं। नाई के उस्तरे से हो जाने वाले एग्जीमा में उपयोगी है। यह दाद आदि में भी लाभ करती है।

कैल्केरिया सल्फ 3x, 12 — सिर पर छोटी-छोटी हुंसियों हो जाती हैं, जिन्हें खुजलाने पर रक्त निकल आता है। यह औषधि बच्चों के खुश्क एग्जीमा में अत्यंत उपयोगी है।

सल्फर 30 — इस एग्जीमा की त्वचा खुश्क, खुरदरी तथा छिछड़ेदार होती है, खुजली और जलन भी होती है। कूड़ा बीनने वाले और गंदे रहने वाले लोगों को यह अधिक होता है।

रस वेनेनैटा 6 — एग्जीमा या फुसियों में से पनीला स्राव निकले और सूखकर छिलके बन जाए, इसमें यह औषधि अत्यंत उपयोगी है। यह हर तरह के एग्जीमा में लाभ करती है।

सोरिनम 200 — चेहरे पर, खोपड़ी पर यह एग्जीमा अधिक होता है। सिर पर होने पर सिर के बाल झड़ जाते हैं। एग्जीमा से जो स्राव निकलता है, वह पपड़ी की तरह जम जाता है। खुजली और जलन के कारण रोगी को बहुत पीड़ा होती है, वह सदा बेचैन रहता है।

पेट्रोलियम 30 — इसका एग्जीमा गर्मी में लोप हो जाता है और सर्दी के मौसम में पुनः प्रकट हो जाता है। खुश्क, छिछड़ेदार एग्जीमा जिसमें दरारें पड़ जाएं, उनमें रक्त छल्का दिखाई दे।

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