गुदा के फटने का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Fissure-in-Ano ]

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नाइट्रिक एसिड 6 — मल-त्याग करने तथा उसके बाद गुदा में तेज दर्द। रोगी दर्द के कारण तीव्र-वेदना में आगे-पीछे टहलता है। कठोर मल द्वारा गुदा के फट जाने से ऐसा होता है। गुदा पर इस औषधि से अधिक निश्चित प्रभाव किसी अन्य औषधि का नहीं है। गुदा के फटने में यह अत्युत्तम औषधि है और इसका प्रभाव शीघ्र हो जाता है।

गैफाइटिस 30 — रोगी का मल गाठोंदार और लंबा होता है। मल के बाद प्रायः म्यूकस निकलता है; गुदा-प्रदेश में एग्जीमा होता है। इन लक्षणों में गुदा का फटना हो, तो यह औषधि देने में देर नहीं करनी चाहिए। गुदा पर प्रभाव डालने वाली औषधियों में इसका प्रमुख स्थान है।

पेओनिया 3 — गुदा-द्वार के फटने पर उसमें से स्राव बहते रहना। गुदा में कतरने जैसा दर्द और बेहद खुजली हो, तब इस औषधि से लाभ होता है।

रटन्हिया 3 — गुदा के फटने तथा उसमें आग की-सी जलन, मल-त्याग के बाद रोगी दर्द के मारे कराहने को विवश हो जाता है। यह औषधि इस रोग में उपयोग है।

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