गुदा का फोड़ा (भगन्दर) का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Fistula-in-Ano ]

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मलद्वार के ठीक चारों तरफ एक प्रकार का नालीक्षत या नासूर होता है, जिसे *भगंदर” कहते हैं। यह अधिकतर स्वास्थ्य-भंग होने पर हुआ करता है। त्वचा के ऊपर बारीक छिद्र से हर समय पीब-सरीखा एक प्रकार का तरल पदार्थ निकला करता है। मल-त्याग करते समय अथवा अन्य समय भी मलद्वार से पीब निकलती रहती है। एक बार प्रदाह खूब घट जाता है, फिर कुछ दिन बाद प्रदाह होकर फोड़ा जैसा होता और फट जाता है; पीब को परिमाण भी अधिक हो जाता है। फोड़े की जगह तेज दर्द होता है।

साइलीशिया 30, 200 — यह भगंदर (फिश्चुला) की सबसे उत्तम औषधि है। पीब पतली और दुर्गन्धयुक्त, टहलते समय या मल-त्याग करते समय खोंचा मारने जैसा दर्द। इसमें उच्च-शक्ति की औषधि जल्दी-जल्दी या बार-बार देनी चाहिए। 7-8 दिन बाद एकेक मात्रा देनी चाहिए।

एसिड फ्लोरिक 30, 200 — यह साइलीशिया का एक ऐटिडोज है और भगंदर में लाभदायक है।

बार्बेरिस 30 — छूने से दर्द, बैठने में कष्ट और मलद्वार में खुजलाहट होती है।

सल्फर 30, 200 — मलद्वार में सूजन और टीस का दर्द। मल-त्याग के बाद छुरी चुभने जैसा दर्द। रोगी के लिए उच्च-शक्ति का व्यवहार करना चाहिए।

हिपर सल्फर 3x, 6, 30 — भगंदर में अत्यधिक दर्द होने और कुछ दिन यह दबा रहकर सहसा एक दिन प्रदाहित होकर उस प्रदाह का स्फोटक में परिणत हो जाने से इस औषधि का प्रयोग किया जाए, तो दर्द घट जाता है और फोड़ा पक कर फट जाता है और रोगी को आराम मिलता है।

माइरिस्टिका 3x — इसका दर्द और कष्ट हिपर सल्फर की अपेक्षा भी अधिक प्रबल है। दर्द और कष्ट बहुत अधिक हो और हिपर सल्फर से शांत न हो, तो इसका प्रयोग करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त-फिश्चुला के साथ फेफड़े का कोई दोष रहे, तो एसिड फॉस; फिश्चुला के ऑपरेशन के बाद कैलि फॉस; मलद्वार में सहसा चुभने जैसा दर्द, छूने से दर्द और खुजलाहट हो, तो कॉस्टिकम; कब्ज के साथ बवासीर, क्षत या घाव, बदबूदार मल निकले, तो हाइड्रेस्टिस; शराबियों के तथा पुराने फिश्चुला में लैकेसिस; फास्फोरस के धातु वाले रोगी के मलद्वार में घाव और पीब-रक्त निकलने पर फास्फोरस; मलद्वार में गर्मी और जलन, टीस का-सा दर्द, मलद्वार भारी मालूम होना इत्यादि लक्षणों में ऐलोज लाभदायक है। सदैव उच्च-शक्ति का प्रयोग करें।

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