घेंघा रोग का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Goiter ]

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गले की थाइराइड-ग्रंथि के बढ़ जाने पर यह रोग होता है। यदि यह ग्रंथि बहुत दिनों से बढ़ी हो, रोग पुराना (जीर्ण) हो, तो उसे गिल्लड़, गलगंड या घेघा कहते हैं। इसमें ज्वर या प्रदाह आदि कोई उपसर्ग दिखाई नहीं देता। ग्रंथि के अधिक बढ़ जाने पर निगलने अथवा श्वास लेने व छोड़ने में कष्ट होता है। यह रोग पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को उनकी जवानी में अधिक होता है। पीने के पदार्थ में किसी खनिज की कमी या कोई बहुत ही छोटे सूक्ष्म जीवाणु का रहना या चूने का हिस्सा ज्यादा रहना-इन कारणों से इस रोग की उत्पत्ति होती है। इसमें गले की ग्रंथि की क्रिया की ज्यादती दिखाई नहीं देती। गले की गांठ (गल-ग्रंथि) का बढ़ना और उससे निकलने वाले स्राव की कमी, खांसी, श्वास-कष्ट, फुसियां आदि इस रोग के प्रधान लक्षण हैं।

कैल्केरिया कार्ब 30 — रोगी के पसीने में बड़ी खट्टी गंध आती है, रोगी। सर्दी सहन नहीं कर सकता, गर्मी उसे पसंद होती है। पीला चेहरा, थुलथुली देह, पैर ठंडे। यह औषधि मोटे लोगों के गिल्लड़ में उपयोगी है।

स्पंजिया 2x, 3 — गले में लगातार कांटा जैसा चुभने का अनुभव होता है। जब गिल्लड़ पुराना और कठोर हो जाए, तब यह औषधि उपयोगी है। इसमें ब्रोमियम की तरह गिल्लड़ (ग्रंथि) बढ़ा हुआ होता है और आयोडम की तरह रोगी क्षीणकाय, दुर्बल होता है। थाइरॉइड-ग्रंथि के प्रदाह में भी यह उपयुक्त है।

ब्रोमियम 1M — यदि गिल्लड़-रोग में आयोडम से लाभ न हो, तो इसे प्रयोग कर देखना चाहिए। गिल्लड़ बढ़ा हुआ होता है; रोगी दाईं तरफ लेट नहीं सकता; दाई तरफ लेटने से उसे हृदय की धड़कन बढ़ी हुई महसूस होती है, तब इस औषधि से बड़ा उपकार होता है।

आयोडम 3, 30, 1M — इसके रोगी के शरीर का मांस क्षीण होता है, किंतु उसकी भूख बढ़ती जाती है। रोगी यक्ष्मा के रोगी जैसा होता है। उसे गले में संकोचन का अनुभव होता है। यह औषधि ग्रंथि-संस्थान के रोगों के लिए सबसे अधिक उपयोगी है। गले की थायरॉइड-ग्रंथि के बढ़ जाने से गिल्लड़ होता है, उसमें यह औषधि अच्छा काम करती है। इसका मूल-अर्क भी दिया जा सकता है।

फ्लोरिक एसिड 6, 30 — यदि आयोडम और ब्रोमियम से लाभ न हो, तो इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

थाइरॉयोडीन 3x, 6x — यदि उक्त औषधियों से लाभ न हो, तो इसे दें। यदि अन्य औषधियों से गिल्लड़ घट तो जाए, किंतु बिल्कुल ठीक न हो, तब भी यह औषधि दें। इस औषधि को देते हुए ध्यान रखना चाहिए कि यदि इसका कोई बुरा असर होता दिखे, तो इसे देना बंद कर देना चाहिए।

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