मसूढ़ों के रोग का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Gum Diseases ]

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ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं हैं, जो केवल दांतों की सफाई की ओर ही अधिक ध्यान देते हैं और मसूढ़ों के प्रति बेपरवाह होते हैं, जबकि दांतों की सुंदरता और सुरक्षा केवल मसूढ़ों द्वारा ही संभव होती है, अतः दांतों के साथ-साथ मसूढ़ों की साफ-सफाई की ओर भी पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।

मर्क सोल 200 — मसूढ़ों में प्रदाह (सूजन) के साथ असह्य-वेदना। मसूढ़ों के साथ-साथ गाल पर भी सूजन आ जाती है। कभी-कभी मसूढ़े में फोड़ा भी हो जाता है। रोगी को बेहद पसीना आता है, मुंह में लार भर जाती है, प्यास भी अधिक लगती है। यह औषधि इसमें बहुत अधिक लाभ करती है।

हिपर सल्फर 30, 200 — यदि मसूढ़े में फोड़ा बन जाए या फोड़ा बनने की आशंका हो, तो इसका उपयोग लाभकारी है। इसके उपयोग से या तो फोड़ा बैठ जाएगा या उसकी पस निकल जाएगी।

साइलीशिया 6, 30 — यदि हिपर से लाभ न हो, तो इसे देकर देखना चाहिए।

बेलाडोना 30 — यदि मसूढ़े की सूजन या फोड़े में टपकन के साथ दर्द भी हो, तो यह उपयोगी औषधि है।

आर्निका 6, 30 — यदि नकली दांत लगाने पर मसूढ़े में सूजन या दर्द हो, तब दें।

फास्फोरस 30 — यदि मसूढ़े पर सूजन आने के बाद रक्त जाने लगे, मसूढे में घाव हो जाए; किसी भी प्रकार के रक्तस्राव में यह उपयोगी है।

कार्बोवेज 6, 30 — जब दांत मसूढ़ों का साथ छोड़ दें, उनमें से पस निकलने लगे, मुंह में लार भरी रहे, घाव हो जाए, तब यह लाभ करती है।

फ्लोरिक एसिड 30 — जब किसी औषधि से लाभ न हो, तो इस औषधि की 30 शक्ति की दिन में 3 मात्राएं कुछ दिन तक देकर देखना चाहिए।

ट्युबर्म्युलीनम 200 — यदि उपरोक्त औषधि को देने के बाद भी शिकायत बनी रहे, तो 15 दिन में एक बार इस औषधि की 1 मात्रा दो-तीन महीने तक दें।

कारसिनोसीन 30, 200 — यह नोसोड कैंसर से बना है। यदि मसूढ़े में कैंसर का लक्षण पाया जाए, तब इस औषधि के प्रयोग से रोग बढ़ नहीं पाता है और दर्द-कष्ट में आराम मिलता है।

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