आर्त्तव्य व्याधि का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Menstrual Disorder ]

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ऋतु-संबंधी रोगों में प्रथम रजःस्राव में विलंब, रजोरोध, अनियमित ऋतु, अनुकल्प रजः, स्वल्परजः, अतिरज, बाधक-वेदना, प्रदर-रोग, रजोनिवृत्ति और हरित-रोग ही मुख्य हैं। ऋतु-संबंधी रोग में होम्योपैथिक औषधियां अधिक प्रभावी सिद्ध होती हैं। रजःस्राव की गड़बड़ी से उत्पन्न हुए उपसर्ग में ऋतु के समय औषधि-सेवन मना है। ऋतु-निवृत्ति के पश्चात औषध-सेवन की प्रक्रिया करनी चाहिए।

पल्सेटिला 30 — आर्तव्य-व्याधि में यह औषधि बहुत उपयोगी है। यदि फिर भी इससे किसी को लाभ न हो, तो इसके स्थान पर सिपिया 30 देनी चाहिए, यह लाभकारी सिद्ध होगी, लेकिन आरंभ पल्सेटिला से ही करना चाहिए।

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