सुन्नपन का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Numbness (Anesthesia) ]

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जब शरीर के अंगों में रक्त का संचार शिथिल हो जाता है, तब अंग सुन्न पड़ने लगते हैं। इससे अंगों में सूजन भी आ सकती है तथा पक्षाघात आदि का भय भी बना रहता है, इसलिए जितना जल्दी हो, इस रोग से मुक्ति पा लेनी चाहिए।

प्लम्बम 30 — अंगों में सुन्नपन, दर्द, सिरहन अथवा झनझनाहट हो; पैरों में सूजन तथा पिंडलियों में मरोड़-सा हो; कलाई से हाथ का न उठना; दाएं पैर के अंगूठे में दर्द होना, जबकि दाएं अंग का सुन्न होकर मृत प्रायः हो जाना, हाथ-पैरों की नसों का उभर आना तथा उनमें स्पर्श की अनुभूति तक न होना। इन लक्षणों में यह औषधि बहुत उपयोगी है।

कोनायम 30, 200 — यदि सुन्नपन अधिक या अधिक समय तक रहे, तो मनुष्य की मृत्यु तक हो सकती है। यह औषधि सुन्नपन का नीचे के अंगों से आरंभ होकर सारे शरीर में ऊपर की ओर चढ़ने में बहुत लाभकारी है।

हेलोडर्मा 30 — शरीर के पिछले हिस्से में बहुत ठंड लगती है। हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं।

इग्नेशिया 200 — यदि चलते हुए पैर की एड़ी सुन्न पड़ जाएं, तब यह औषधि लाभ करती है।

एकोनाइट 30 — सुन्नपन के आरंभिक काल में यह औषधि देनी चाहिए।

ऐलूमिना 6 — शरीर के सभी अंग सुस्त हो जाते हैं, पैरों में जान नहीं रहती, पेशियां मानों निष्क्रिय हो जाती हैं, पैर की एड़ी सुन्न पड़ जाती हैं, तब इस औषधि से लाभ होता है।

क्सैथोक्साइलम 6 — शरीर के बाएं भाग में सुन्नपन, शरीर में विद्युत-सी दौड़ जाने का अनुभव होने पर इसका प्रयोग करें।

फास्फोरस 30 — बांहों तथा टांगों में सुन्नपन महसूस होता है। रोगी शरीर में। बहुत कमजोरी का अनुभव करता है। शरीर में सुन्नपन के साथ दर्द भी होता है। स्नायविक-पीड़ा और पक्षाघात जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। त्वचा में चुभन का-सा एहसास होता है।

प्लैटिना 6x — यह विशेषकर स्त्रियों की औषधि है। रोगिणी को भिन्न-भिन्न अंगों में सुन्नपन तथा ठंड का अनुभव होता है। सिर में दर्द होता है। रीढ़ की हड्डी में अधिक सुन्नपन का अनुभव होता है। चेहरे पर दाहिनी ओर भी कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है।

सिकेलि कौर 30 — यह औषधि उन वृद्ध स्त्री-पुरुषों के लिए उपयोगी है, जिनकी त्वचा झुर्रियों से भरी होती है, हड्डियां उभर आती हैं और जो शरीर से बेहद दुबले और पतले होते हैं।

ऐगारिक्स 30 — हाथ-पैर एकदम ठंडे रहना और उनमें सुन्नपन का हो जाना में उपयोगी है।

औग्जैलिक एसिड 6 — शरीर के पुट्ठों में शक्तिहीनता, शरीर कमजोर, अंगों में अधिक सुन्नपन और चीटियों के से रेंगने का अनुभव। शरीर का बायां भाग सुन्नपन से विशेष प्रभावित रहता है।

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