बुढ़ापा या वृद्धावस्था का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Old Age (Senility) ]

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वृद्धावस्था को कोई टाल न. सकता, न कोई इसे आने से रोक सकता है। वृद्धावस्था को पहुंचने वाले व्यकिरों के शरीर के तंतुओं की लचक खत्म हो जाती है। जैसे-जैसे मनुष्य की आयु बर, जाती है, उसके शरीर के तंतुओं की लचक जाती रहती है और उनकी जगह कठोरता ले लेती है। यही वृद्धावस्था की निशानी है।

अर्टिका युरेन्स (मूल-अर्क) — इस औषधि के सेवन से वृद्धावस्था में नवीन बल का संचार होता है। शरीर के तंतुओं में लचक उत्पन्न होती है और अधिक समय तक व्यक्ति युवा रह सकता है।

एकिनेसिया (मूल-अर्क) — यह वृद्ध लोगों के लिए बहुत उपयुक्त औषधि है। जिन व्यक्तियों का शरीर थका-मांदा रहता है, वे इसकी 5 बूंद दिन में एक बार पानी में लें, लाभ होगा।

मेफाइटिस 3 — शक्तिहीन व्यक्ति पर इसका प्रयोग करना चाहिए। यह स्नायु-संस्थान को प्रभावित करती है और शरीर को लचकीला बनाकर वृद्धावस्था को दूर करती है।

फौरमिक एसिड 3x — इसके सेवन करने से शारीरिक-बल की वृद्धि होती है। चलने-फिरने में पहले से अधिक शक्ति का अनुभव होता है, थकान महसूस नहीं होती। सबके लिए उपयोगी है।

लाइकोपोडियम 30 — शारीरिक-क्षीणता प्रायः प्रत्येक वृद्ध व्यक्ति को भोगनी पड़ती है। जैसे-जैसे क्षीणता बढ़ती जाती है, व्यक्ति अपने को अधिक वृद्ध अनुभव करने लगता है। इसलिए इसे वृद्ध लोगों की महौषधि कहा गया है।

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