जांघ की शिरा की सूजन का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Phlegmasia Cerulea Dolens ]

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बहुत-सी स्त्रियों की जांघ में प्रसव के पश्चात रक्त का अवरोध हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप जांघ और टांग में प्रदाह हो जाता है। इसका प्रमुख कारण प्रसव के समय की काट-पीट से शिरा में विष का संचार होना होता है। यह रोग प्रसव के एक-डे मप्ताह बाद प्रकट हो सकता है। इसमें पांव के गिट्टे में दर्द आरंभ होकर टांग में नीचे से ऊपर की ओर चढ़ता है और बहुत पीड़ा देता है। स्त्री बेचैन, परेशान और दर्द से ग्रसित हो जाती है।

बिस्मथ 6 — शिरा के मार्ग में कड़ापन, भारीपन, सूजन और दुखन का अनुभव होता है। बाई टांग पर रोग का आक्रमण होता है, स्त्री से चला-फिरा नहीं जाता है।

पल्सेटिला 30 — शिरा के मार्ग पर बेहद दुखनं होती है। दर्द होने पर ठंड-सी लगती . है, फिर भी स्त्री टांग को खुला रखना चाहती है। इस रोग की यह मुख्य औषधि है।

लाइकोपोडियम 6, 30 — टांग की दो शिराओं में से एक में प्रदाह हो जाता है, तब यह नीचे से ऊपर तक उभरी हुई और सूजी हुई दिखाई देती है। इस रोग में यह औषधि बहुत उपयोगी है।

हैमैमेलिस 6 — शिरा में रक्त के इकट्ठा हो जाने के लिए यह उत्कृष्ट औषधि है।

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