विषों की चिकित्सा का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Poisoning Treatment ]
पेट में तेज दर्द होता है और मूत्र बंद हो जाता है। विष खाए व्यक्ति को खूब पानी पिलाएं। वमन कराने की औषधि देने से विष बाहर निकल जाता है। घी गरम करके पिलाने से विष का प्रभाव कम या समाप्त हो जाता है।
यदि कोई संखिया खा ले तो तुरंत उसकी नाड़ी की गति धीमी होने लगती है, वमन होता है, दस्त होते हैं। शरीर में कंपन होने के साथ हाथ-पांव ऐंठने लगत े हैं।इसी प्रकार अधिक अफीम खा लेने पर सिर में बहुत तेज दर्द होता है। आंखों की पुतलियां छोटी हो जाती हैं और चेहरे पर पीलापन आ जाता है। नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, रोगी बेहोश हो जाता है। ऐसे में पोटाशियम परमेंगनेट पानी में घोलकर पिलाने से वमन होता है। राई और नमक मिलाकर पिलाने से भी रोगी को वमन कराया जा सकता है। इससे अफीम का विषैला प्रभाव कम हो जाती है। दूध में बड़ी कटेली का रस मिलाकर पिलाने से विष का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
धतूरे का मस्तिष्क पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ता है। रोगी तुरंत ही बेहोश हो जाता है। गला शुष्क हो जाता है, हाथ-पांव कांपने लगते हैं। चेहरे का रंग लाल हो जाता है। जल्दी-जल्दी वमन होता है, पुतलियां फैल जाती हैं। रोगी को तुरंत वमन कराकर मूत्र निकालने की कोशिश करनी चाहिए। ज्वर हो जाने पर सिर पर बरफ की थैली रखें। नींबू का रस पानी में मिलाकर पिलाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है। रोगी पर बेलाडोना आदि का प्रयोग चिकित्सक की अनुमति से करना चाहिए।
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