सड़ा ज्वर का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Putrid Fever ]

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किसी भी ज्वर में चोट आदि लगकर जख्म हो जाना अथवा शरीर में किसी जीवाणु का विष प्रवेश करने के कारण रक्त दूषित होकर, ज्वर-विकार, पसीना, कमजोरी, शरीर की ग्रंथियां कड़ी या उसमें पीब पड़ जाना आदि लक्षण पैदा हो जाते हैं, इसे ही सड़ा-ज्वर कहते हैं। शरीर का रक्त विषैला हो जाने के लक्षण दिखाई देने पर यह समझ लेना चाहिए कि शरीर के भीतर गहराई में कोई फोड़ा इत्यादि उत्पन्न हो गया है। इससे बहुत अधिक ज्वर आता है। तीन कारणों से यह विष शरीर में फैल सकता है – (1) कोई रासायनिक सड़ने वाला पदार्थ रक्त में मिलकर ज्वर का आना, (2) रक्त में जीवाणु के प्रवेश करने के परिणामस्वरूप ज्वर का आना, (3) शरीर के किसी अंदरूनी भाग में फोड़ा होना, उसमें पीब का पड़ना और उसी के कारण ज्वर हो जाना। इस ज्वर की चिकित्सा तुरंत की जानी चाहिए, क्योंकि यह ज्वर खतरे की घंटी होता है और जानलेवा बन जाता है।

किननम सल्फ 3x – शरीर का क्षय करने वाला ज्वर, हल्का और अधिक समय से रहने वाला, शरीर के किसी एक हिस्से में दर्द।

रस-टॉक्स 3 – शरीर की ग्रथियों पर रोग का आक्रमण होने पर ज्वर का आना।

ब्रायोनिया 3x – हिलने-डुलने पर दर्द का बढ़ना, स्राव, कब्ज, तेज प्यास आदि।

इचिनेशिया Q – रक्त का बहुत विषैला हो जाना, श्वास आदि में बहुत बदबू।

एसिड म्यूर 6 – जिह्वा सूखी, दांतों पर मैल की परत, गहरी सुस्ती, उच्च ताप, सविराम नाड़ी, शरीर में दर्द।

फाइटोलैक्का Q – (2 से 5 बूंद की एक मात्रा) यह अंदेशा होते ही कि रक्त में विषैला दोष उत्पन्न हो गया है, तब इस औषधि का प्रयोग करें।

आर्निका 3 – चोट, गिरना, जख्म या नश्तर लगवाने के कारण उत्पन्न ज्वर में। प्रसव होने के बाद प्रसूता का रक्त दूषित हो जाने पर।

पाइरोजेन 6, 30 – बहुत अधिक ज्वर, शरीर में ताप का बढ़ना, बहुत बेचैनी, अधिक पसीना, सभी प्रकार के स्रावों में अत्यधिक बदबू, हृत्पिण्ड की क्रिया बंद हो जाने की आशंका, शरीर की गर्मी न घटे।

मर्क-सोल 3x – सड़ने का लक्षण दिखाई देने पर।

आर्सेनिक 3x – ज्वर के साथ सुस्ती, जीभ लाल, बेचैनी, जलन और तेज दर्द। रक्त के दूषित हो जाने पर।

लैकेसिस 6 – रक्त का दूषित होना, दुर्बलता, तंद्रा और प्रलाप।

बैप्टीशिया Q, 3x – टाइफॉयड जैसा ज्वर, पतला बदबूदार काले रंग का दस्त, श्वास में बहुत दुर्गन्ध, जीभ सूखी और मलीन।

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