कंठमाला या गंडमाला का होम्योपैथिक इलाज [ Homeopathic Medicine For Scrofula ]

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“कंठमाला” अथवा “गंडमाला” होने पर शरीर के बहुत से स्थानों की गांठों में प्रदाह हो जाता है। यह धातुगत अवस्था है। इसमें गांठों (गिल्टियों) में क्षयरोग का प्रवेश होकर व्यक्ति को क्षयरोग (टी.बी.) हो सकता है। यह गिल्टियां गले के आस-पास होती हैं, इसलिए इन्हें कंठमाला अथवा गंडमाला कहते हैं। माता-पिता को गर्मी का रोग या दोष होना, सीलन भरे स्थान में रहना और पौष्टिक भोजन की कमी आदि कारणों से यह रोग हो जाया करता है। इसे संक्रामक रोग माना जाता है। इसकी चिकित्सा यथाशीघ्र की जानी चाहिए।

लेपिस एल्बम 6 — शरीर के जिस किसी स्थान की गिल्टियां (ग्रंथियां) फूल गई हों या बाघी निकली हो, उसकी यह एक उत्तम औषधि है।

फेरम आयोडाइड 3x — कंठमाला दोष-संबंधी उपसर्ग, ग्रंथियों का बढ़ जाना तथा ट्यूमर आदि में उपयोगी है।

थाइरॉइड 6, 30 — ग्रंथियों के विकार तथा गल-गंड के रोग में, चर्बी चढ़ जाने में बहुत उपयोगी है। इससे अधिक लाभ न होने पर स्पंजिया 30 देनी चाहिए।

कैल्केरिया कार्ब 30 — ग्रंथियों की सूजन, बच्चों की कंठमाला तथा प्रच्छन्ने (यक्ष्मा) रोग में यह उपयोगी है। सिर पर तथा शरीर पर प्रचुर मात्रा में पसीना आना तथा थाइरॉयड-ग्रंथिका शिथिल हो जाना। कंठमाला-जनित रोग में उपयोगी है। यह ग्रंथियों के दोष को सुधार देती है।

वैसिलिनम 30, 200 — यदि वात-रोगी के माता-पिता से वंश में यक्ष्मा-रोग हो, तब सप्ताह में एक बार इसे देना चाहिए।

इथिओप्स एण्टीमॉनैलिस 3x — ग्रंथियों की सूजन, कान से पीब बहना, कंठमाला-संबंधी उपसर्गों के लिए विशेष लाभदायक है।

मर्क सोल 30 — लसिका-मंडल विशेषकर आक्रांत होता है, उसके साथ सभी ग्रंथियां, झिल्लियां और भीतरी अवयव आक्रांत हो जाते हैं। अधिक मात्रा में पसीना आता है, किंतु इससे रोग में कोई कमी नहीं आती; रात में उपसर्ग बढ़ जाते हैं।

सल्फर 6, 30 — बगल की ग्रंथि, तालमूल, नाक और होंठ की सूजन, घुटने और अन्य जोड़ कड़े, पुट्टे का सूजना, लड़के-लड़कियों का चक्षु-प्रदाह, कान में पीब, कान के पीछे और शरीर की कितनी ही जगहों पर फुसियां। यह ग्रंथियों के दोष को सुधारने वाली सारा दोष नाशक औषधि है।

बेलाडोना 3, 6 — प्रदाह के कारण गले की गांठों में सूजन और दर्द, निगलने में दर्द और पीड़ा का होना।

मर्क आयोड (विचूर्ण) 3 — तालुमूल में घाव और जलन; गले की गांठे सूजी हुई, कड़ी और कठिन। तालुमूल में टपक और दर्द होता है।

सिलिका 30 — यदि सभी गांठे फूलकर सफेद रंग की जाएं, फोड़ा या पीब हो जाना चाहता हो, तो इसका प्रयोग करें।

कैल्केरिया फॉस 12(चूर्ण) — कंठमाला रोगी को गठिया बाय होने पर इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

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